हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के महादेव गांव निवासी अंतरिक्ष ने छोटी सी उम्र में ऊंची उड़ान भरी है। कवर फोटोग्राफी में अंतरिक्ष का नाम आज देशभर के प्रकाशन संस्थानों के बीच जाना पहचाना सा हो गया है। अंतरिक्ष की फोटोग्राफी और डिजिटल आर्ट की वजह से देशभर की साहित्यिक पत्रिकाओं और पुस्तकों के आवरण सजे संवरे से दिखने लगे हैं।
अंतरिक्ष की उम्र अभी मात्र 16 वर्ष है। इस क्षेत्र में काम करते हुए उसे मात्र 10 महीने ही हुए हैं। इस थोड़े से समय में ही उसके फोटो और डिजिटल आर्ट ने देश-विदेश की नामी-गिरामी व चर्चित पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के आवरण व भीतरी पृष्ठों पर प्रमुखता से स्थान पाया है।
अंतरिक्ष के छायाचित्र इतने कम समय में चार दर्जन के करीब विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं व पुस्तकों के आवरण पर सज चुके हैं और सज रहे हैं। यह हिमाचल के लिए गौरव की बात है।
अंतरिक्ष के पिता जानेमाने बाल साहित्यकार पवन चौहान बताते हैं कि अब तक अंतरिक्ष के फोटो तथा डिजिटल आर्ट जानी-मानी व चर्चित पत्रिकाओं यथा हंस, पक्षधर, सेतु, वर्तमान साहित्य, कथाक्रम, पाखी, अक्षरा, समकाल, हरिगंधा, समयांतर, रचना उत्सव, निकट, हिमप्रस्थ, सत्राची, पाठ, साहित्य समय, समीरा, साहित्य यात्रा, शुभ तारिका, प्रेमचंद पथ, राजस्थली, साहित्य समीर दस्तक आदि पत्रिकाओं के मुख पृष्ठ पर सजे हैं।
उल्लेखनीय है कि नेपाल से प्रकाशित शब्द संयोजन पत्रिका के आवरण में भी अंतरिक्ष का फोटो प्रकाशित हुआ है। इसके अलावा सरस्वती, शैक्षिक दखल, परिवर्तन, प्रकृति मेल, प्रकृति दर्शन आदि पत्रिकाओं भीतरी पन्नों पर फोटो व डिजिटल आर्ट का प्रकाशन हुआ है।
यही नहीं, देश के जाने-माने प्रकाशन बोधि प्रकाशन, शिल्पायन बुक्स, पुस्तकनामा, समय साक्ष्य, समर प्रकाशन, कामायनी, सी जी ज्ञान प्रकाशन आदि की पुस्तकों के आवरण पर भी अंतरिक्ष के फोटो व आर्ट ने स्थान पाया है। देश की अन्य चर्चित साहित्यिक पत्रिकाओं व प्रकाशनों ने भी अंतरिक्ष के फोटो आने वाले अंकों व पुस्तकों के लिए चयनित कर रखे हैं।
पवन चौहान ने बताया कि अंतरिक्ष ने यह सब बिना किसी कोर्स या गुरू के अपने ही प्रयासों से सब सीखा है। उसके फोटो का नया अंदाज, कलात्मकता और गहराई देशभर के साहित्यकार व प्रकाशक तथा कलाप्रेमी दाद देते हैं। उनका कहना है कि अंतरिक्ष छायांकन व डिजिटल आर्ट में अपना कैरियर बनाना चाहता है। वह अपनी कला को विश्व के हर कोने तक पहुंचाना चाहता है।
उसका सपना है कि भविष्य में वह कुछ ऐसा अलग-सा व अनूठा करे जिससे इस कला के क्षेत्र में उसकी मुक्कमल पहचान बने।
अंतरिक्ष वर्तमान में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय सुंदरनगर से प्राक शास्त्री-द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। अंतरिक्ष का कहना है कि यदि पापा की नजर उसकी फोटोग्राफी पर न पड़ी होती तो शायद वह आज भी मोबाइल गेम ही खेल रहा होता। बता दें कि अंतरिक्ष के पिता पवन चौहान स्वयं एक लेखक हैं और माता शिक्षिका हैं।