हिमाचल में हो रहे प्रशासनिक तबादलों पर स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार तथा वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने मंगलवार को संयुक्त बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किए जा रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले पहले से ही प्रदेश सरकार के विचाराधीन थे। इन सभी तबादलों पर नीतिगत औपचारिकता पूरी करने के बाद ही ये फैसला लिया गया है।
दोनों मंत्रियों ने कहा कि हालांकि, मंत्रिमण्डल की बैठक में सामान्य तबादलों पर रोक को पूरी तरह से लागू किया गया है और किसी भी तबादले में अब मुख्यमंत्री की रेकमेंडेशन लेना अनिवार्य है। प्रदेश के जनजातीय, सब-कैडर और कठिन क्षेत्रों में कार्य कर रहे कर्मचारियों का सेवाकाल पूर्ण होना, चिकित्सा आपात अथवा अन्य प्रकार की मानवीय आधार को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में कर्मचारियों के तबादले पर फैसला लेना सरकार की जिम्मेवारी बन जाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के तबादले पिछली सरकार के समय में भी होते रहे हैं और बेवजह इस मुद्दे को उछालना सही नहीं है।
मंत्रियों ने कहा कि सामान्य तबादले नहीं किए जा रहे हैं और जरूरी मामलों में प्रशासनिक सचिवों को मुख्यमंत्री की रेकमेंडेशन प्राप्त करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य समाज की सेवा करना है और इसमें किसी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती।