कोलंबो: श्रीलंका के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. वहां के लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं जिसकी वजह से यहां भयानक सियासी संकट खड़ा हो गया है. लोगों का आक्रोश इतना बढ़ गया कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. हालांकि राष्ट्रपति गोटबया ने राजपक्षे प्रदर्शनकारियों के पहुंचने से पहले ही आवास छोड़ दिया था. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
इस प्रदर्शन को रोकने के लिए राजपक्षे सरकार की न्यायपालिका की आड़ लेने की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. पुलिस ने एक अदालत में अर्जी देकर इस प्रदर्शन पर रोक लगाने की गुजारिश की थी, लेकिन गुरुवार को अदालत ने वो याचिका ठुकरा दी. इससे विरोध प्रदर्शन का रास्ता खुल गया है.
इस घटना के अलग-अलग वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर डाले जा रहे हैं. प्रदर्शनकारी कैसे राष्ट्रपति भवन के अंदर घुसे ये इस वीडियो में आप खुद देख सकते हैं.
Happening now #July9th massive protest in Colombo Sri Lanka, demanding President Gotabaya Rajapaksa to step down.#LKA #SriLanka #EconomicCrisisLK #SriLankaCrisis pic.twitter.com/RQpn7KPke6
— Sri Lanka Tweet 🇱🇰 💉 (@SriLankaTweet) July 9, 2022
सिद्धांत सिब्बल नाम के शख्स ने ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है. जिसमें लोग राष्ट्रपति भवन की रसोई में घुस गए हैं.
Colombo: Protestors Storm the kitchen of Presidential residence, local media footage shows. pic.twitter.com/EIRnLWqHw6
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 9, 2022
न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें आक्रोशित प्रदर्शनकारियों का गुस्सा वहां से सांसद पर फूट पड़ा और उनकी पिटाई हो गई.
Colombo | In a viral video, SJB MP Rajitha Senaratne attacked by protesters as agitation erupts on the streets amid the ongoing economic crisis.
Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa has reportedly fled the country pic.twitter.com/A09tBsPmi7
— ANI (@ANI) July 9, 2022
बौद्ध भिक्षुओं के आंदोलन को राष्ट्रपति राजपक्षे के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है. नवंबर 2019 में हुए चुनाव में भिक्षुओं ने उन्हें अपना पुरजोर समर्थन दिया था. दो करोड़ 20 लाख आबादी वाले श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहली समुदाय बौद्ध धर्म को मानता है. कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है कि देश में महंगाई और जरूरी चीजों के अभाव के कारण जनमत का एक बड़ा हिस्सा राजपक्षे परिवार से निकटता के कारण भिक्षुओं के खिलाफ होने लगा था. इसीलिए अब बौद्ध भिक्षु सरकार विरोधी रुख अपनाने को मजबूर हो गए हैं.