सत्ता में आते ही बीजेपी सरकार ने एचपीसीए की लीज़ बहाली करके एक तहर से नायाब तोहफा दिया है। वहीं एचपीसीए ने भी पिछले पांच साल की लीज़ मनी को जिला प्रशासन के पास जमा करवा दी है। एचपीसीए ने 27 लाख रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 1 करोड़ 37 लाख रुपये जमा करवा दिए हैं।
हालांकि अभी जिला प्रशासन पिछले पांच सालों की लीज मनी पर ब्याज को लेकर थोड़ा कसमकस में है और राज्य सरकार से इस बारे में राय भी मांग सकती है। काबिलेगौर है कि साल 2013 में पूर्व की वीरभद्र सरकार ने एचपीसीए को लेकर कबिनेट मीटिंग में बिल पास कर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद एचपीसीए ने हाईकोर्ट का रास्ता अख्तियार किया था।
हाईकोर्ट ने हालांकि एचपीसीए को राहत प्रदान की थी और कब्जा बहाल करवाने के आदेश दिए थे। तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने कब्जा मुक्त कर दिया था लेकिन कागज़ों पर लीज़ रद्द नहीं की थी, तभी से लेकर एचपीसीए अभी तक राजस्व विभाग की जमीन पर एक तरह से अवैध तौर पर ही गतिविधियां करवाए जा रहा था।
लेकिन, राज्य सरकार के एक फैसलें ने एचपीसीए को चिंता मुक्त करके उसे उसका मालिकाना हक प्रदान करवा दिया। अब एचपीसीए भी बेफिक्र होकर अपने क्रिकेट स्टेडियम को अपने हिसाब से प्रयोग में ला सकती है।