सरकारें बेशक विकास के कितने भी दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी कुछ और ही है। इसी की मिसाल है चंबा जिले के भरमौर के तहत बजोल पंचायत का खनार गांव। नई पीढ़ी यहां से पलायन कर रही है। वजह है इस गांव में सुविधाओं की कमी। न सड़क है और न ही बिजली की कोई व्यवस्था है। यही वजह है कि इस गांव में लोगों को कालापानी के समान जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है।
खनार वहीं गांव है जहां से रावी नदी निकलती है। गांव में कुल 19 परिवार गुजर बसर करते हैं और उन्हें आज तक मूलभूत सुविधाओं को तरसना पड़ रहा है। बिजली की व्यवस्था न होने के कारण सूरज के ढलते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। जिसके चलते ग्रामीणों को अपने कार्य दिन के उजाले में निपटाने पड़ते हैं।
कच्चे रास्ते का भी बुरा हाल
वहीं दूसरी ओर गांव को जाने वाले कच्चे रास्ते की दशा भी कुछ ठीक नहीं है। मार्ग की हालत इतनी खस्ता है कि बारिश के दिनों में ग्रामीणों का उस पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि बिजली बोर्ड व लोकनिर्माण विभाग द्वारा सर्वे तो किए हैं लेकिन सर्वे के बाद कार्य मात्र फाइलों में ही दबकर रह गये। ग्रामीण आज भी गांव के बिजली से रोशन होने और सड़क पहुंचने के दिन का इंतजार कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव निकट आते हैं जनप्रतिनिधि गांव में आकर बड़े- बड़े वादे करते हैं। लेकिन जीतने के बाद इस गांव की सुध लेने के लिए कोई भी नहीं आता। जिसके चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते कई परिवार अपने पैतृक गांव से पलायन भी कर चुके हैं।