हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड बोर्ड ने सोमवार को शिमला में राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सभी विभागों के अधिकारी और वैज्ञानिकों ने जैव विविधता पर मंथन किया। इसमें कहा गया कि प्रदेश की जड़ी-बूटियों की खरीददारी और इस कारोबार से जुड़ी आयुर्वेदिक फार्मा कंपनियों से लाभ का कुछ प्रतिशत हिस्सा वसूल करेगा। लाभ का ये हिस्सा जैव विविधता संरक्षण, रिसर्च और ग्रामीणों में बांटा जाएगा।
राज्य सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण विज्ञान प्रोद्योगिकी मनीषा नंदा ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सम्बन्धित हितधारकों के साथ एक व्यापक सलाहकार प्रक्रिया के बाद योजनाओं और कार्यक्रमों को विकसित करने बारे जागरूकता उत्पन्न करना है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय रिपोर्ट तैयार करने के लिए कृषि, आयुर्वेद, वन, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, पर्यटन इत्यादि संबंधित विभागों के के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।
जैव विविधता की स्थिति और प्रवृतियों पर हाल ही में आए बदलावों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, जैव विविधता और इसके सरंक्षण से जुड़े एवं हाल ही में पूर्ण किए गए कार्यों अथवा प्रयासों के बारे में जानकारी दी जाएगी और प्रयासों को अपडेट किया जाएगा।
राज्य जैव विविधता बोर्ड सूचना एवं विज्ञान प्रद्योगिकी विभाग के निदेशक कुणाल सत्यार्थी ने बताया कि इन बैठकों और सेमीनार के जरिए कहां कितने स्टॉक होल्डर और इससे जुड़े लोगों के जैव विविधता के प्रति जागरूक किया जा रहा है तो साथ ही प्रदेश में महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों और इमसें कुछ के विलुप्त होने सबंधित जानकारियों भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
हिमाचल के कुल्लू ,किन्नौर,लाहुल-स्पीती और चंबा में काफी मात्रा में जड़ी बूटी पाई जाती है और हर साल अरबों का कारोबार होता है। देश के बड़े उद्योग यहीं से जड़ी-बूटी का कारोबार करते हैं।