हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सोमवार 26 फरवरी को कई बड़े फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री जयराम की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक मंत्रिमंडल की बैठक में जयराम सरकार प्रदेश में अनुबंध आधार पर 200 आयुर्वेदिक डॉक्टर्स के पद भरेगी। इनमें से 100 पद बैचवाइज और 100 पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे।
इसके अलावा एक अन्य अहम फैसले में प्रदेश की नई एक्साइज नीति को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने किसानों को लोन सुविधा के लिए राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड के पक्ष में राज्य सरकार के 325 करोड़ रुपये के गारंटी समर्थन को 31 मार्च 2019 तक जारी रखने को मंजूरी दी। फैसला लिया गया कि कांगड़ा जिला के जंद्राह स्थित आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम शहीद जगदीश सिंह राणा के नाम पर रखा जाएगा।
यहां मिलेंगी नौकरियां
जयराम सरकार ने हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के जरिए जूनियर डिविजन सिविल जज के 12 पद भरने को मंजूरी दी। इसके अलावा राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला में 5 पद लैब टैकनीशियन, एक पद अधीक्षक ग्रेड-2, एक पद वरिष्ठ सहायक और एक पद कनिष्ठ कार्यालय सहायक (आई.टी) का भरा जाएगा। बैठक में दो पद बागवानी प्रभारी और आयुर्वेदिक विभाग में एक पद सहायक वनस्पति विशेषज्ञ का भरा जाएगा।
एक्साइज पालिसी को मंजूरी, 1552 करोड़ मिलेगा राजस्व
जयराम सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। नई आबकारी नीति का मकसद उपभोक्ताओं, उत्पादकों, आपूर्तिकर्ताओं, बाटलर्स, थोक और परचून विक्रेताओं की उम्मीदों पर खरा उतरना है। आबकारी नीति से प्रदेश के राजस्व में वर्ष 2018-19 में लगभग 1552.88 करोड़ रुपए अर्जित करने में सहायता मिलेगी। यह वर्ष 2017-18 में अर्जित राजस्व से 271.33 करोड़ अधिक होगा। यानी इसमें 21.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। कैबिनेट ने 'ईज ऑफ डुइंग बिजनेस नीति के अनुरूप सोर्स लाइसेंस हासिल करने की शर्तों को आसान किया गया है।
साथ ही आबकारी टैक्स की संख्या में भी कटौती की गई है। जहां तक परचून विक्रेताओं का संबंध है, उन्हें 'अनलिफ्टिड मिनिमम ग्रांटेड कोटा की शर्तों में राहत देते हुए बड़ी छूट दी गई है। आबंटन के समय परचून विक्रेताओं के लिए तय की गई सिक्योरिटी राशि को 18 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत किया गया है। कैबिनेट ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र रूप से होटलों व रेस्तराओं में बीयर उत्पादन के लिए माइक्रो बेवरी की स्थापना की नीति को भी मंजूरी दी।
मुख्य कच्ची सामग्री, बीयर पर आयात शुल्क कम करके और शराब की बिक्री (सीएल-कन्ट्री लिकर तथा आईएमएफएल-इंडियन मेड फोरेन लिकर) पर एमआरपी प्रणाली लागू करके यह तय किया गया है। इससे लाईसेंस धारकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी। दरों को सभी परचून दुकानों पर प्रदर्शित किया जाएगा।
सीएल यानी देशी शराब की प्रति बोतल पर एक रुपया तथा आईएमएफएल की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर 2 रुपये एकत्र किए जाएंगे। इस पैसे को एंबुलेंस सेवाएं निधि व स्थानीय निकायों के कल्याण के लिए आवंटित किया जाएगा।
परचून विक्रेताओं बड़ी राहत
हिमाचल प्रदेश में वाईन उत्पादकों को उनके उत्पाद सीधे तौर पर परचून विक्रेताओं तथा बार में बिक्री की अनुमति का निर्णय लेकर बड़ी राहत प्रदान की गई है। वाईन उद्योग और बागवानी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई आबकारी करों को कम किया गया है। परिवहन शर्तों में भी छूट दी गई है और राज्य के बाहर तैयार की गई वाईन पर आयात शुल्क में बढ़ौतरी की गई है।