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SPU में आयोजित 10 दिवसीय टांकरी लिपी प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न

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मंडी: सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी में इतिहास विभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय टांकरी लिपी प्रशिक्षण कार्यशाला बुधवार को संपन्न हो गई। समापन समारोह में डॉ कमल कुमार प्यासा वरिष्ठ साहित्यकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक एवं उपन्यासकार डॉ गंगा राम राजी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में टांकरी के विख्यात विद्वान जगदीश कपूर व विशेष अतिथि के रूप में टांकरी विशेषज्ञ व प्रशिक्षक पारुल अरोड़ा रहे। वहीं पर मंडी के प्रसिद्ध लेखक कृष्ण महादेविया, कथाकार मुरारी शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। इससे पूर्व प्रशिक्षुओं द्वारा कार्यशाला में किए गए कार्य की प्रदर्शनी लगाई गई।

प्रदर्शनी का उदघाटन आचार्य देव दत्त शर्मा कुलपति सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी ने किया। उन्होंने इस अवसर पर प्रशिक्षुओं व इतिहास विभाग को सफल आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सफल आयोजन की सार्थकता प्रदर्शनी में दिखाई दे रही है। कार्यशाला संयोजक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने नव वर्ष की बधाई देते हुए कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि डॉ. कमल कुमार प्यासा ने इस अवसर पर कहा कि हमें प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व परंपराओं पर गर्व होना चाहिए। टांकरी लिपि हिमाचल प्रदेश में की प्रसिद्ध लिपि है जिसमें कई ऐतिहासिक स्रोत विद्यमान हैं। उनके अध्ययन के लिए इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन अति आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि पहाड़ी भाषा को अगर संविधान की आठवीं सूचि में शामिल होना है तो टांकरी को लिपि के रूप में अपनाया जा सकता है। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ गंगा राम राजी ने इस अवसर पर आयोजकों को बधाई देते हुए कहा किया बड़े गौरव का विषय है की टांकरी लिपि के प्रचार और प्रसार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस लिपि का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं जिससे न केवल टांकरी लिपि प्रचार व प्रसार अपितु ऐतिहासिक स्रोतों का अध्ययन व विश्लेषण संभव होगा।विशिष्ट अतिथि जगदीश कपूर में टांगरी लिपि के महत्व को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि टांकरी भाषा नहीं लिपि है जबकि कुछ लोग इसे भाषा मानने लगे हैं।

वहीं पर पारुल अरोड़ा ने टांकरी लिपि के अन्य लिपियों के संबंध व उनका अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां दी। इस अवसर पर उन्हें मुख्य अतिथि द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यशाला संयोजक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि कार्यशाला में इतिहास विभाग के 72 विद्यार्थियों सहित कुल 95 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। देश के विश्वविद्यालयों व संस्थाओं के आठ विद्वानों ने ऑनलाइन माध्यम से, सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के पांच विद्वानों ने प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने बताया की प्रतिदिन प्रशिक्षुओं को मुख्य प्रशिक्षक पारुल अरोड़ा द्वारा टांकरी लिपि सिखाई गई।

प्रशिक्षुओं को पांडुलिपियों व अभिलेखों की महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के आचार्य अनुपमा सिंह प्रति कुलपति व अधिष्ठाता अकादमिक मामले, आचार्य राजेश कुमार शर्मा अधिष्ठाता महाविद्यालय विकास परिषद,डॉ चेतन चौहान,डॉ अक्षय कुमार, डॉ कर्ण गुप्ता, डॉ पवन चांद, डॉ सरिता,शिवान बीबी,डॉ दायक राम,डॉ चमन प्रेमी, कार्यशाला आयोजन सचिव डॉ रामपाल, सहायक आचार्य राजेश शर्मा, विकेश कुमार,के आर सैनी, दीपक कुमार,लोकगायिका कृष्णा ठाकुर ,इंटेक मंडी चेप्टर के अध्यक्ष नरेश मल्होत्रा, सह अध्यक्ष अनिल शर्मा, सहित इतिहास विभाग के स्नातकोत्तर द्वितीय व चतुर्थ समेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित रहे।