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इस मंदिर की ‘देवी’ सैनिकों की रक्षा के लिए खुद पहुंच जाती है उनके पास

नवनीत बत्ता |

हिमाचल प्रदेश देवभूमि हैं और कई तरह के मंदिर देवियों के विशेष रूप हैं जिनमें ज्वाला जी, चिंतपूर्णी, चामुंडा नैना देवी जैसे शक्तिपीठ हैं। जहां पर बड़ी संख्या में लोग हर साल माता के दर्शन करने आते हैं लेकिन, हिमाचल की नहीं बल्कि देश के सैनिकों की रक्षा के लिए एक मात्र ऐसी मां है जो खुद अपने मंदिर से उठकर अपने सैनिकों और भक्तों की रक्षा के लिए जाती है। ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में सुजानपुर के तिगरा गांव में है।

ये मंदिर चामुंडा माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है इसकी विशेषता ये है कि मंदिर में जहां हर जगह हम जाते हैं तो माता की मूर्ति एकदम सीधी रहती है। लेकिन यहां पर माता की मूर्ति में उनका चेहरा दाएं तरफ को मुड़ा हुआ है और बताया जाता है कि बाएं तरफ को चेहरे के मुड़ने का मतलब है कि बेशक माता मंदिर में बैठी हुई होती हैं लेकिन उनका ध्यान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा के तरफ रहता है।

ये है मंदिर की कहानी

मंदिर के पुजारी पंडित ज्ञान चंद शर्मा ने बताया कि इस मंदिर को लेकर एक सच्ची कहानी है कि माता हमारे पुरखों के साथ यहां पर चौसर खेला करती थी। माता हर दिन इस मंदिर में आती थी। एक दिन अचानक चौसर खेलते खेलते माता ने पुजारी से कहा कि उन्हें कहीं जाना है और अब वह थोड़ी देर में वापस आएंगी और इतना कहकर माता अचानक वहां से गायब हो गई। सब लोग वहां पर माता का इंतजार करते रहे। जब माता मंदिर में वापस आईं तो पुजारी ने पूछा कि देवी आप कहां गई थी जिस पर माता ने कहा कि मैं आपको यह तो बता दूंगी कि मैं कहां गई थी लेकिन यह बताने के बाद मुझे इस मंदिर से हमेशा के लिए जाना होगा और फिर मैं यहां पर मूर्ति रुप में स्थापित रहूंगी अन्यथा मैं जैसे इस मंदिर में लगातार आती हूं बैसे आती रहुंगी।

हिंद महासागर में पानी में डूब रहे सैनिकों की बचाई जान

पंडित अपनी जिद पर अड़ा रहा और उसने माता से पूछा कि नहीं आप बताइए कि आप कहां गई थी इस पर फिर माता ने पंडित को अपने हाथों में डाला हुआ चूड़ा दिखाया जो पूरी तरह भीगा हुआ था और उस पर रेत के कुछ कंण भी दिखाई दे रहे थे तो पुजारी ने पूछा कि माता यह क्या हुआ है।   इस पर माता ने बताया कि उनके कुछ भगत जो भारत माता की रक्षा करते हैं वह हिंद महासागर में पानी में डूब रहे थे और उन्होंने मुझे अचानक याद किया तो फिर मैं उनके पास गई और उनकी परोक्ष रूप से सहायता कर उन्हें इस विपदा से निकाला।

मूर्ति रुप में स्थापित है मां चामुंडा

माता ने कहा कि अब जब आपने मुझसे जाने का कारण पूछ लिया है तो अब मुझे भी इस मंदिर से हमेशा के लिए जाना होगा और अब मैं इस मंदिर में मूर्ति रुप में स्थापित रहूंगी। लेकिन देश के सैनिक मेरी पूजा के लिए हमेशा यहां भी आते रहेंगे और बाकी जगह भी चामुंडा माता के नाम से मेरी पूजा होती रहेगी। यह कहकर माता इस मंदिर से चली गई और उसके बाद माता की मूर्ति में उनका चेहरा भी दाएं तरफ की ओर घूम गया।

यह मंदिर तिगरा गांव में हैं जहां वंशजों के महल है उस महल के अंदर पहाड़ की चोटी पर मंदिर में माता की मूर्ति के अलावा भगवान शिव की पिंडी की स्थापना भी की हुई है और इसके साथ ही मंदिर के बाहर माता की सवारी भी मूर्त रूप में देखने को मिलती है।

मूर्ति का फोटो खींचना पूरी तरह वर्जित

मंदिर के भीतर किसी भी तरह का फोटो खींचना पूरी तरह वर्जित है। इसलिए हम यहां पर आपको माता का मुड़ा हुआ चेहरा तो नहीं दिखा सकते लेकिन बाहर से मंदिर की तस्वीरें जरूर दिखा रहे हैं।