Follow Us:

कांड होने के बाद बोले जकरबर्ग, भारतीय चुनावों में नहीं होगा फेसबुक का गलत इस्तेमाल

समाचार फर्स्ट डेस्क |

पिछले कुछ सालों से चुनावी राजनीति में सोशल मीडिया का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण रहा है। इसी के मद्देनज़र चुनाव के दौरान सोशल मीडिया वॉर रूम हर पार्टी का अहम अंग बन गया। लेकिन, जब सोशल मीडिया चुनावी धांधली का अहम हथियार बन जाए तो मामले में बवाल होना लाजमी है। यही हुआ है, फेसबुक के साथ। दावा किया जा रहा है कि अमेरिका, ब्राजील और ब्रेग्जिट जैसे अहम चुनावों में फेसबुक के जरिए धांधली की गई। यहां तक कि 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी फेसबुक के गलत इस्तेमाल की बात कही जा रही है। फेसबुक के जरिए मैंडेट को प्रभावित किया गया। 

अब सोशल मीडिया से लेकर राजनीति के धुरंधरों ने जब फेसबुक के सीईओ का कॉलर पकड़ा हैं, तो वह सफाई देते फिर रहे हैं। अमेरिकी चुनावों में डेटा लीक पर चिंता जताते हुए फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने भारत के संदर्भ में भी ईमानदारी बरतने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा है कि फेसबुक भारत समेत दुनिया के हर देशों में होने वाले चुनावों में डेटा से जुड़ी ईमानदारी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिकी चैनल सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में जकरबर्ग ने यह स्वीकार किया कि रूस जैसे कई देशों ने अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की थी और उन्होंने यह भी बताया कि फेसबुक ने इन प्रयासों को नाकाम करने के लिए क्या उपाय किए थे।

भारतीय चुनावों के बारे में सवाल पर जकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक भारत सहित सभी देशों में होने वाले चुनावों में किसी बाहरी तत्व के दखल पर अंकुश के लिए कई तरह के कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए फेसबुक ने आर्ट‍िफिशियल इंटेलीजेंस टूल से लेकर 'रसियन बॉट्स' की पहचान करने तक के उपाय किए हैं।

फेसबुक के सीईओ ने कहा, " यह हमारी जिम्मेदारी है। भारत पर हमारा ख़ास ध्यान है, क्योंकि वहां बड़ा चुनाव होने जा रहा है। इसके अलावा ब्राजील और कई देशों में बड़े चुनाव होने वाले हैं। हम फेसबुक की क्रेडिबिलिटी और इससे जुड़े लोगों के प्रति ईमानदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

कैंब्रिज एनालिटिका के मामले में कबूली गलती

मार्क जकरबर्ग ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के मामले में अपनी गलती को कबूला है। दरअसल, फेसबुक को आलोचना का सामना इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि एक ब्रिटिश कन्सल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगा है कि उसने 5 करोड़ फेसबुक यूज़रों का डेटा बिना अनुमति के जमा किए और उस डेटा का इस्तेमाल राजनेताओं की मदद करने के लिए किया, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चुनावी कैंपेन और ब्रेक्ज़िट आंदोलन शामिल हैं।

जकरबर्ग ने विशेष रूप से कहा कि कंपनी फेसबुक डाटा को प्रतिबंधित करेगी और थर्ड पार्टी डेवलपर्स सिर्फ नाम, प्रोफाइल फोटो और इमेल एड्रेस एक्सेस कर सकेंगे।