कांगड़ा के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल टांडा में मरीज़ों को किस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं, इसका खुलासा हमीरपुर के रहने वाले दिलीप सिंह ने किया है। दिलीप सिंह ने अपनी पत्नी की मौत के जिम्मेदार टांडा अस्पताल के डॉक्टरों को बताया है और आरोप जड़े हैं कि इनकी लापरवाही के चलते उनकी पत्नी की मौत हुई। यही नहीं, दिलीप सिंह ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्हें न्याय दिलाने की बात कही गई है।
दरअसल, दिलीप सिंह 15 जनवरी को अपनी पत्नी को अस्पताल हमीरपुर में लेकर गए थे, लेकिन वहां सुविधाओं में कमी होने के कारण उन्हें टांडा मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया गया। उसके बाद 18 जनवरी को डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी अब नॉर्मल है और शूगर-ब्लड सेल सब ठीक है तथा उन्हें वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया। वॉर्ड में डॉक्टरों ने उन्हें ग्लूकोस चढ़ाया और पेट में टीके लगाए, जिससे उनकी पत्नी की तबीयत बिगड़ने लगी।
दिलीप ने बताया कि पत्नी की तबीयत इतनी बिगड़ की जबतक दूसरे वॉर्ड से डॉक्टर आता उसकी पत्नी की मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों ने मरा हुआ घोषित कर दिया, जबकि कुछ घंटों पहले उसे पूरी तरह नॉर्मल बताया गया था। वहीं, इस संदर्भ में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर गुरुदर्शन गुप्ता का कहना है कि इस बारे में उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई। जब ऐसा कोई मामला सामने आएगा तो दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी टांडा मेडिकल कॉलेज में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। कई दफा लोगों ने इस संदर्भ में मामले भी दर्ज करवाए, लेकिन वे सिर्फ पुलिस और प्रशासन की फाइलों में ही दबे रह गए। ग़रीब मरीज़ों की सुनने वाला कोई नहीं और पैसों या जान पहचान के बल पर अस्पतालों में काम होने लगा है। मरीजों और तीमारदारों को अपने इलाज के लिए भटकना पड़े तो इससे ज्यादा लचर प्रशासनिक व्यवस्था और क्या हो सकती है।