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“बाल सत्र” में उठा पंचायत स्तर पर बच्चों की सहभागिता का मुद्दा

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शिमला: “विश्व बाल श्रम निषेध दिवस” के अवसर पर आयोजित हुए विधानसभा “बाल सत्र” में पंचायत स्तर पर बच्चों की सहभागिता का मुद्दा उठाया गया. यह मौका था जब “बाल सत्र” के उपाध्यक्ष राघव कल्ला ने, नियम 324 की कार्यवाही के दौरान विपक्ष की सदस्य और उना से बाल विधायक सिमरप्रीत कौर ने सरकार के सामने अपना सुझाव रखा.

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की सिमरप्रीत ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि जिस प्रकार नॉर्वे में सरकार में बच्चों के प्रतिनिधि मौजूद होते है. यह प्रतिनिधि और कोई नहीं बच्चे ही होते है जो बच्चों की समस्याएं और बच्चों के नीति निर्माण में सरकार की सहायता करते है. इस प्रकार ही हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग को भी पंचायत स्तर पर बच्चों की सहभागिता बढ़ाने के लिए कदम उठाना चाहिए. इससे दो फायदे होंगे पहला भावी पीढ़ी को पता चलेगा की राजनीति कैसे की जाती है एवं दूसरा बच्चों से जुड़े फैसले लेने में बच्चे सरकार की मदद कर सकेंगे.

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित विधानसभा भवन में सुबह 11 बजे आयोजित हुए इस बाल सत्र की अध्यक्षता स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया द्वारा की गयी थी. अपने स्वागत संबोधन के दौरान एच.पी विधानसभा अध्यक्ष ने इस बाल सत्र के आयोजन हेतु डिजिटल बाल मेला की टीम को धन्यवाद किया और बच्चों की राजनीतिक सहभागिता बढ़ाने के लिए किये गए प्रयास को सराहनीय बताया था.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ऐतिहासिक बाल सत्र से पहले बच्चों की सरकार कैसी हो? के तहत हुए संवाद सत्रों में हिमाचल के पंचायती राज मंत्री श्री अनिरुद्ध सिंह ने भी बच्चों से संवाद स्थापित किया. इस संवाद सत्र के दौरान प्रदेश भर के विद्यालयों से 2000 से भी ज्यादा बच्चे जुड़े. बता दें की डिजिटल बाल मेला द्वारा 2022 में बच्चों की सहभागिता पंचायत स्तर पर बढ़ाने हेतु राजस्थान में “मैं भी बाल सरपंच” अभियान चलाया गया, जिसके तहत प्रदेश के सभी संभागों में 10 “बाल पंचायतों” का आयोजन किया गया था.