हिमाचल में चुनाव से पहले बीजेपी तमाम माफियाओं के खिलाफ शिकंजा कसने के वादे कर रही थी। लेकिन, अवैध खनन में अब इनके ही नेताओं के रिश्तेदारों के नाम जुड़ने लगे हैं। यही नहीं पकड़े जाने पर सत्ता का धौंस भी दिखाया जा रहा है। शनिवार को धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के संधोल में अवैध खनन का मामला सामने आया। अवैध खनन कर रही जेसीबी और टिप्पर को पुलिस ने कब्जे में भी ले लिया, लेकिन आरोप लगाया जा रहा है कि खनन माफियाओं ने जबरन उसे छुड़ा लिया और पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव बनाया। थाने में दी गई एक शिकायत के मुताबिक इस पूरे प्रकरण में स्थानीय विधायक एवं मंत्री के बेटे का कनेक्शन है।
क्या है पूरा मामला?
जिला मंडी स्थित धर्मपुर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत शराब ठेकेदार रमेश चंद ने दाखिल की है। बकौल शिकायत आरोप है कि मंत्री का बेटा संधोल में अवैध खनन कर रहे हैं। यह मामला शनिवार दोपहर को उजागर हुआ। शिकायतकर्ता के मुताबिक जब वह दोपहर तीन बजे कुज्जाबल्ह से संधोल की तरफ जहा रहा था, तो उसे एक जेसीबी और 2 टिप्पर बक्कर खड्ड में खनन करते दिखाई दिए। इस बात की सूचना उसने तुरंत संधोल पुलिस को दी। पुलिस भी मौके पर पहुंची और अवैध खनन में शामिल दोनो टिप्पर तथा जेसीबी को अपने कब्जे में ले लिया। (इस संदर्भ में शिकायत करने वाले ने एक वीडियो भी बनाई है)
इस दौरान संधोल पुलिस चौकी प्रभारी मौके पर मौजूद नहीं थे, लिहाजा मुख्य आरक्षी संजीव सकलानी गाड़ियों का चालान नहीं कर सकते थे। उन्होंने अपने सीनियर धर्मपुर थाना प्रभारी को इसकी सूचना दी। लेकिन, तब तक मौके पर पहुंचे 20 से 25 लोगों ने पुलिस के सामने से जबरन टिप्पर और जेसीबी छुड़ा ले गए। आरोप यह भी है कि इस दौरान मंत्री के दामाद ने पुलिस वालों को धमकाया भी और 6 दिन के भीतर देख लेने का जिक्र किया।
संधोल में मामला बढ़ता देख शनिवार रात 8 बजे एसएचओ पृथ्वी सिंह भी पहुंचे। लेकिन, मामले में मंत्री के पुत्र का नाम आने से कार्रवाई से वो भी कतराने लगे। गौरतलब है कि बकर खड्ड में मंत्री के बेटे का क्रशर भी है।
संधोल में कैसे हैं हालत?
संधोल में लगातार प्रशासन से बेख़ौफ होकर अवैध तरीक से खनन का काम चल रहा है। शनिवार को हुए विवाद के दौरान की समाचार फर्स्ट के कैमरे में जो तस्वीरें कैद हुईं हैं, उन्हें देख आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि संधोल के अलग-अलग खड्ड में किस स्तर पर अवैध खनन हो रहा है। खनन से बर्बाद खड्ड का सबसे बड़ा उदाहरण वहां का बक्कर खड्ड है। यहां खनन का काम इस कदर हुआ है कि इसकी संरचना पूरी तरह समतल हो चुकी है।
प्रदेश सरकार ने पुलिस सहित डेढ़ दर्जन विभागों के अधिकारियों को इस धंधे पर नकेल डालने को अधिकृत किया है, लेकिन यहां पर पुलिस के अलावा कभी भी कोई अधिकारी दबिश नही देता। जिसके चलते ये धंधा आज-कल चरम पर है।
रात-दिन चल रहे अवैध खनन से बक्कर खड्ड, मसौत खड्ड और झंगी खड्ड पर बने पुलों की नींव खोखली हो गई है। जिससे इनके अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। (ख़बर अभी इस विज्ञापन के नीचे है..)
उन वादों का क्या हुआ सरकार?
हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी तमाम तरह के माफियाओं के खात्में की बात कर रही थी। लेकिन, जब इस तरह की शिकायतें प्रकाश में आती हैं, तो पुराने वादे अमूमन याद आ जाते हैं। वैसे तो सरकार के बने 3 महिने से ऊपर हो गए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम से पहले विज्ञापनों ने अपनी जगह बना ली है। जिसमें, प्रदेश के विकास, अपराध के खिलाफ क्विक ऐक्शन और खुशहाली के दावे विज्ञापनों में किए जा रहे हैं। मगर, असल तौर पर संधोल जैसे मामले जाहिर कर देते हैं कि सत्ता का गुरूर और हनक बदला नही है। अब सवाल ये है कि क्या राज्य सरकार विज्ञापनों के माफिक यहां भी तुरंत एक्शन लेगी? क्या मामले में निष्पक्ष जांच कराएगी? या यह मामला भी सलेक्टिव राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा?