कहने को तो भारतीय संविधान ने कानून के समक्ष सभी को बराबरी का अधिकार दिया है। (अंग्रेजी में इसे Equality before law कहा जाता है) लेकिन, 'रसूख' एक ऐसा कुप्रभाव है जो संविधान के दिए इस अधिकार को एक दम निष्क्रीय कर देता है। रसूख का डंका क्या होता है, यह आपको धर्मपुर में देखने को मिलेगा। स्थानीय लोगों के रिकॉर्डेड बयान के आधार पर कहें तो यहां पर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। शनिवार को संधोल में हुए खनन विवाद में नया मोड़ आ गया है। बक्कर खड्ड में जिस शख्स ने अवैध खनन की शिकायत दर्ज करायी थी, अब पुलिस ने उसी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने शिकायतकर्ता रमेश चंद के साथ-साथ 4 अन्य के खिलाफ स्थानीय विधायक एवं मंत्री के बेटे की गाड़ी तोड़ने के आरोप में मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि इन लोगों ने मंत्री महेंद्र सिंह के बेटे पर बक्कर खड्ड में अवैध तरीके से खनन का आरोप लगाया था।
पूरा मामला यहां पढ़ें– मंत्री के बेटे पर अवैध खनन के आरोप, पुलिस ने पकड़ा तो उल्टे मिली धमकी!
'रसूख की गोद में बैठी है पुलिस'
खड्ड में अवैध ढंग से खनन को उजागर करने वाले रमेश चंद पर उल्टा केस दर्ज हुआ है। रमेश चंद पर मंत्री के बेटे की गाड़ी तोड़ने के आरोप लगे हैं। ख्याल हो कि ये आरोप खनन विवाद के ठिक एक दिन बाद लगा है। इसमें रमेश चंद के साथ-साथ 4 अन्य लोग भी हैं। रमेश चंद का कहना है कि उन्हें आवाज़ उठाने की सज़ा दी जा रही है।
समाचार फर्स्ट के साथ बातचीत में रमेश चंद ने कहा कि उन्होंने शनिवार को अवैध खनन की शिकायत पुलिस से की। पुलिस मौके पर पहुंची भी, लेकिन मंत्री के बेटे की संलिप्तता को देखते हुए शिकायत दर्ज़ नहीं की। अवैध खनन से जुड़े लोगों ने मौके पर मौजूद दो टिप्पर और एक जीसीबी भी छुड़ाकर ले भागे। रमेश का आरोप है कि पुलिस ने बाद में उल्टा शिकायत करने वालों को ही धमकाया। रमेश चंद का कहना है कि इलाके में मंत्री के बेटे का रसूख बहुत है। उनकी खौफ के आगे कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
वहीं, घर्मपुर माकपा के सचिव भुपेंद्र सिंह ने समाचार फर्स्ट के साथ बातचीत में कहा कि इलाके के कई खड्डों में अवैध खनन का काम अर्से से चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाए कि जो पार्टी सत्ता में आने से पूर्व खनन माफियाओं को खत्म करने की बात कर रही थी, उन्हीं के कुनबे के लोग अवैध खनन में संलिप्त है। इनका डर इस कदर है कि कोई भी इनके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत नहीं दिखाता।
मंत्री के बेटे ने आरोपों से किया इनकार
इस पूरे प्रकरण में समाचार फर्स्ट ने मंत्री के बेट रजत सिंह से बात की। टेलिफोनिक इंटरव्यू में रजत ने आरोपों पर अपनी सफाई दी। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ शिकायत ग़लत दी गई है। उनका अवैध खनन से कुछ भी लेना-देना नहीं है। मौके से जिस जेसीबी और टिप्पर की बात की जा रही है, वह घटना पुरानी है। जान-बूझकर उनक फंसाया जा रहा है।
5 लोगों के खिलाफ एफआईआर पर रजत का कहना है कि इन लोगों ने उनकी गाड़ी के साथ तोड़फोड़ की। हालांकि, उन्होंने आगे समाचार फर्स्ट के सवालों का जवाब नहीं दिया और इतना कहते हुए फोन काट दिया कि मामला कानूनी तौर पर अब विचाराधीन है।
सवालों से भाग रही है पुलिस
मामले में समाचार फर्स्ट ने थाना धर्मपुर से भी बात करने की कोशिश की। लेकिन, पुलिस इस पूरे प्रकरण पर अपने संदिग्ध रोल पर कोई बात नहीं करना चाहती। समाचार फर्स्ट ने एसएचओ धर्मपुर से टेलिफोनिक इंटरव्यू लेने की कोशिश की। एसएचओ ने हमारे सवालों का बिल्कुल भी जवाब नहीं दिया। हमने कुछ बेसिक सवाल पूछे थे,
- अवैध खनन के दौरान मौके पर पुलिस पहुंची थी, कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- पुलिस के रहते गाड़ियां जबरन कैसे लोग गाड़ियां छुड़ा ले गए?
- अवैध खनन के खिलाफ शिकयात करने वाले 5 लोगों के खिलाफ किन धाराओं में मुकदमा दर्ज़ है?
- शिकायत के बाद आपने वक़्त पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज़ किया?
- क्या आपने उल्टा शिकायतकर्ता को धमकाया है?
सवालों के जवाब में एसएचओ ने चुप्पी साध ली और मामले में टेलिफोन पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
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कुछ बुनियादी सवाल
धर्मपुर विधानसभा के संधोल में खनन को लेकर जो विवाद सामने आया है, उसमें कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें पुलिस की कार्यशैली से लेकर आरोपों के घेर में आए मंत्री के बेटे की भूमिका संदिग्ध है। साथ ही साथ मामले में एक जमात वह भी है, जो इस पूरे मुद्दे में राजनीतिक तूल देने की तैयारी कर रहा है। लेकिन, इन सबसे अलग अगर सिर्फ क़ानून और संवैधानिक दायरे में स्थिति की समीक्षा करें तो यहां मामला बेहद संदिग्ध है,
- खनन के दौरान पुलिस मौके पर थी. दबंग कैसे टिप्पर और जेसीबी छुड़ा ले गए?
- मामले में कार्रवाई को लेकर पुलिस क्यों पीछे हट रही है?
- वक़्त पर FIR क्यों नहीं दर्ज़ हुआ? जबकि, शिकायतकर्ताओं के खिलाफ शिकायत तुरंत दर्ज हो गयी…
- पुलिस समाचार फर्स्ट के सवालों से क्यों भाग रही है?
- बीजेपी की सरकार ने माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात की थी. मामले में अभी तक दखल क्यों नहीं ?
क्या सलेक्टिव राजनीति हो रही है?
अवैध खनन के गंदे कारोबार में सभी पार्टियों से जुड़े लोगों के नाम आरोपों के घेर में हैं। लेकिन, सरकारों के बदलने के बाद भी अवैध खनन के खिलाफ कोई विशेष मुहिम नहीं चली है। एक-आध मामलों में कुछ टिप्पर और खनन से जुड़े संसाधन जब्त हुए हैं। लेकिन, बड़े स्तर पर कार्रवाई का अभाव देखा गया है।
पुलिस हेल्पलाइन नहीं साबित हो रही कारगर
अवैध खनन पर लोगों की शिकायत है कि उन्होंने इस मामले में ऑनलाइन कई शिकायतें दर्ज करायी हैं। लेकिन, यह कारोबार कुछ घंटों के लिए बंद होता है और फिर अपनी रफ्तार पकड़ लेता है।