हिमाचल प्रदेश में अवैध ख़नन पर नकेल कसने के लिए सरकार के तमाम प्रयास नाकाम सिद्ध हुए हैं। अभी तक इसका कारण राजनैतिक हस्तक्षेप माना जाता है, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने इस पर नकेल कसने के लिए नया फॉर्मूला ढूंढा हैं। इस फॉर्मूल के तहत डॉक्यूमेंटेशन में सरलीकरण होगा और प्रदेश में क्रैशर लगाना आसान हो सकेगा।
प्रदेश जोगलिस्ट रजनीश शर्मा के मुताबिक, क्रैशर लगाने के लिए जो सर्टिफिकेट ऑफ अप्रूवल लगता है सरकार उसे बंद कर रही है। इस सर्टीफिकेट के माध्यम से क्रैशर लगाने में काफी समय लगता था। अब डॉयरेक्टर लेवल पर ही डॉक्यूमेंटेशन के शर्तें पूरी की जाएंगी। यही नहीं, रजनीश शर्मा ने बताया कि क्रैशर लगाने के कुछ आवेदन भी विभाग के पास पहुंच चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस समय हिमाचल में 325 क्रैशर है, लेकिन इसके बाद भी अवैध माइनिंग की घटनाएं नज़र आती है। नेताओं से लेकर अधिकारियों के अवैध ख़नन में संलिप्त होने की बात सामने आती रहती है। लेकिन क्या इस स्टेप से सरकार अवैध खनन पर कंट्रोल पा सकेगी या नहीं, ये देखना जरूरी है…??