राजनेता कौन है? अगर इस प्रश्न की व्याख्या दुनिया के महान नेता अब्राहम लिंकन के लोकतंत्र के बरक्स पेश किए नज़रिए से देखे, तो राजनेता वो है जो जनता के लिए, जनता का, जनता के द्वारा है। हिमाचल प्रदेश में इस परिभाषा की छवि पूर्व कैबिनेट मंत्री जीएस बाली में बाखूबी देखी जा सकती है।
ऐसा इसलिए की चुनाव हारने या जीतने के बाद जहां नेताओं के स्वार्थ पूरे हो जाते हैं। वहीं, जीएस बाली हर सूरत में लोगों के बीच खड़े नज़र आते हैं। यही वजह है कि नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हारने के बावजूद भी अधिकांश लोगों का विश्वास इसी शख्स पर कायम है। जो परेशानियां, शिकायतें और डिमांड जनता अपने विधायक से रखती है, वो सारे जीएस बाली के सामने रखे जा रहे हैं। नगरोटा बगवां के हर वर्ग में यह चर्चा कायम है कि अगर कोई काम रुके तो जीएस बाली से संपर्क करो। बाली भी लगातार क्षेत्र के लोगों से मिलने-जुलने और परेशानियों का निपटारा करने की जद्दो-जहद में लगे हुए हैं।
रविवार को जीएस बाली ने नगरोटा विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान लोगों का हाल-चाल लिया और उनकी परेशानियां सुनीं। सिहुंड और ठारू टिल्ला पार्क पहुंचकर पूजा अर्चना की और मंदिर के लिए दिल खोलकर दान-पुण्य भी किया। जीएस बाली ने मंदिर कमेटी के अनुरोध पर टिल्ला पार्क के वॉकिंग ट्रैक के लिए 3 लाख रुपये देने की घोषणा की। साथ ही साथ मंदिर के गुंबद के लिए 50 हजार रुपये देने का ऐलान किया।
इससे पहले जीएस बाली अपने विधानसभा क्षेत्र से अलग सुलाह में भी निजी जेब से घोषणाएं करते दिखाई दिए। सुलाह मेले के उद्घाटन के दौरान उन्होंने अपने स्तर पर लोगों को रोजगार देने की बात कही थी और पंचायत के लिए पैसे भी निजी तौर पर मुहैया कराए थे।
इन सारी गतिविधियों को देखने के बाद यही लगता है कि जीएस बाली का काम करने का अंदाज बिल्कुल अलग है। उनकी कार्यशैली दर्शाती है कि जनता के काम आने के लिए कोई राजनीतिक पद जरूरी नहीं है। ऐसे में प्रदेश के बाकी राजनेताओं को भी इस पर गौर करने की ज़रूरत है कि इलाके का विकास सिर्फ सरकार को कोसने से नहीं हो जाता। कुछ तबीयत जीएस बाली वाली भी होनी चाहिए…। बाकी राजनीति में हार-जीत होती रहती है। जनता तो मुकम्मल है और हमेशा रहेगी।