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“निजी बस ऑपरेटर के बयान पर बिफरी HRTC संयुक्त समन्वय समिति”

desk |

निजी बस ऑपरेटर द्वारा HRTC को रूट रद्द करने की दी गयी चेतावनी को लेकर एचआरटीसी संयुक्त समन्वय समिति ने निजी बस ऑपरेटर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

निजी बस ऑपरेटर के बयान के बाद संयुक्त समन्वय समिति ने आर पार की लड़ाई का एलान कर दिया है।निजी बस ऑपरेटर द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि HRTC बसों को गैर कानूनी तरीके से रुट प्रदान किये जा रहे हैं,अगर इन्हें रद्द न किया गया तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति सचिव खेमेन्द्र गुप्ता, ने कहा है कि निजी बस ऑपरेटरों द्वारा मीडिया में एचआरटीसी के खिलाफ की गई भ्रामक बयानबाजी की जा रही है जिसकी वह कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं ।

उन्होंने कहा कि कुछ स्वार्थी निजी बस ऑपरेटरों द्वारा बेवजह एचआरटीसी के खिलाफ बयानबाजी की जा रही है ।इसे एचआरटीसी का कर्मचारी किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगा बल्कि इसका मुकम्मल जवाब देने के लिए तैयार है।उन्होंने कहा कि जब तक जनता की डिमांड रहती है उस समय तक HRTC के परमिट जारी रहते हैं।

उन्होंने निजी बस ऑपरेटर पर आरओ लगाते हुए कहा कि अधिकांश निजी बसें कहीं न कहीं गैर कानूनी व अनाधिकृत रूप से संचालित की जा रही है जिससे वे एचआरटीसी की आय को कई दशकों से हानि पहुंचा रहे हैं। पुराने परमिट धारी कई मर्तबा अपने रूटों व टाइम टेबल में मनमर्जी का संशोधन करवा चुके हैं। जोकि नियमों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि निजी बस ऑपरेटर द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई राज्य परिवहन नीति का खुला उल्लंघन किया जा रहा है वर्ष 2004 एवं 2014 की परिवहन नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि निजी बस रूट परमिट 60% ग्रामीण सड़कों पर होना चाहिए.

केवल 40% क्षेत्र राष्ट्रीय एवं राज्य उच्च मार्ग पर होना चाहिए। इसके अनुसार वर्ष 2004 के बाद जिन्हें नए परमिट दिए गए हैं या परमिटों में बदलाव किया गया है वे सभी 2004 की परिवहन नीति की शर्तों के अंतर्गत आने चाहिए थे परंतु नियमों को ताक पर रखकर अधिकांश परमिटों में मनमर्जी के बदलाव किए गए हैं। जिसका रिव्यू किया जाना जरूरी है।

खेमेन्द्र गुप्ता ने कहा कि HRTC कभी भी किसी निजी बस ऑपरेटर के खिलाफ माननीय न्यायालय में नहीं गई परन्तु अब समय की पुकार एवं कुछ निजी बस ऑपरेटरों द्वारा बेवजह एचआरटीसी को ही नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों का जवाब अवश्य दिया जायेगा अगर आवश्यकता पड़ी तो इसका जवाब न्यायालय में दिया जाएगा।