शिमला के बलग गांव में लगा अंधविश्वास का मेला बंद हो गया है। इस मामले में प्रशासन को आखिरकार हस्तक्षेप करना पड़ा है। स्वघोषित अवतारी बच्चों के घर से लोगों के हुजूम को हटा दिया गया है। साथ ही बाहर से आने वाले लोगों को भी रोक दिया गया है। बलग में शनिवार को दो गुटो में झड़प के बाद एसडीएम ठियोग ने संज्ञान लिया और प्रशासनिक ताकत का इस्तेमाल कर लोगों के यहां आने पर प्रतिबंध लगा दिया।
मौके पर प्रशासनिक अमला मुस्तैद है। बलग स्थित अवतारी बच्चों के घर के लिए यातायात बंद कर दिया गया है। यहां आसपास पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। साथ ही बाहर से आने वाले सभी रास्ते भी सील कर दिए गए हैं।
शनिवार को एसडीएम ठियोग को बलग के कोट में प्रवचन दे रहे अवतारी बच्चों की जानकारी पहले से थी। लेकिन, शनिवार को दो गुटों में यहां झड़प के बाद एसडीएम ठियोग खुद मौके पर पहुंचे और उन्होंने पुलिस बल तैनात कर दिया।
मनोवैज्ञानिक इलाज के लिए तैयार बच्चे
एसडीएम ठियोग ने बच्चों और उनके मां-बाप से बातचीत की है। बच्चों ने प्रशासन से अपनी सुरक्षा मांगी है। साथ ही वे अपना इलाज करवाने के लिए भी तैयार हो गए हैं। बच्चों ने यह सारी चीजें स्थानीय प्रशासन को लिखित में दिया है। बच्चों के मां-बाप का कहना है कि वे उनका इलाज खुद करवाएंगे।
बच्चों ने खुद को अकेले रहने की गुजारिश की है। ऐसे में प्रशासन ने किसी भी बाहरी व्यक्ति को मिलने पर रोक लगा दी है। सिर्फ गांव के लोग ही आसपास रह सकते हैं।
शिव, विष्णु और काली का बताते थे अवतार
एक ही परिवार के 3 बच्चे खुद को शिव, विष्णु और मां काली का अवतार बता रहे थे। शिवरात्रि के दिन से शुरू उनकी दिनचर्या दिनों- दिन चर्चा का विषय बनने लगी थी। ये बच्चे क्षेत्र में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ बोल रहे थे। उनकी यह दलील सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जाने लगी। लेकिन, लोगों को उनकी पीड़ा के लिए दवाई छोड़ने और बिना मेडिकल सुविधा के उपचार करने की दलील ने एक ख़ास समझदार तबके को उनसे खिलाफ खड़ा कर दिया।