हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेने के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। इस क्रम में उन्होंने हर हाल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से सुखविंदर सिंह सुक्खू की छुट्टी कराने की जिद ठानी है। इस संदर्भ में उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके सलाहकार अहमद पटेल से भी मुलाक़ात की है। मुख्यमंत्री ने बकायदा 27 विधायकों के समर्थन का हवाला भी दिया है।
लेकिन, जिस तरह की राजनीतिक आंधी चली है…उसके मद्देनज़र प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश विधायक एवं नेताओं ने अपने-अपने घोंसले में बैठ चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है। कांग्रेस के विधायकों में कोई भी मीडिया से बात करने के लिए तैयार नहीं है। अधिकांश बड़े नेताओं का फोन या तो इंगेज है या तो स्वीच-ऑफ बता रहा है। दरअसल, सभी की निगाह आने वाले हालात पर टिकी है। जिस घोड़े पर आलाकमान अपना दांव लगाएगा…उसी के साथ विधायकों की मेजॉरिटी हो जाएगी।
माना जा रहा है कि अहमद पटेल काफी हद तक वीरभद्र की बातों से सहमत हो चुके हैं, लेकिन उनके तेवर से सोनिया गांधी खुश नहीं है। ऐसे में अभी भी स्थिति साफ नहीं हो पा रही है कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इस क्रम में अब प्रदेश के कांग्रेसी विधायक चुप्पी साधे हुए हैं।
अब पेंच फंसता है कि वीरभद्र सिंह जिन 27 विधायकों का साथ होने का दावा कर रहे हैं, क्या वाकई में उनकी निष्ठा वीरभद्र सिंह के साथ है? दरअसल, इस संदर्भ में समाचार फर्स्ट ने सोनिया को लिखे पत्र के साथ हस्ताक्षर किए हुए विधायकों से संपर्क साधा था। इनमें से कुछ ने नाम नहीं बताने की शर्त पर यह कहा था कि जिस लिस्ट पर साइन कराया गया वह सिवाय हाजिरी प्रस्तुत करने के कुछ नहीं था।
ऐसे में अधिकांश विधायक एक सेफ ज़ोन में बैठे हैं और हाईकमान के निर्देश का इंतज़ार कर रहे हैं। जिधर, हाईकमान का रुख होगा…वह भी उसी दिशा में घुम जाएंगे। बुधवार को ठाकुर कौल सिंह से समाचार फर्स्ट ने बात की थी, जिसमें उन्होंने साफ किया कि वे कांग्रेस हाईकमान के निर्देशों को मानने के लिए बाध्य हैं। जो निर्देश हाईकमान देगा उसे वह मानेंगे।