अध्यापक की कुर्सी खाली है लेकिन, बच्चों की क्लास पूरी तरह से भरी हुई है। ये तस्वीरें राजकीय प्राथमिक स्कूल कंयोग पंचायत ग्वालपुर करसोग जिला मंडी की हैं। जहां पर स्कूल में एक भी अध्यापक नहीं है। पिछले 9 महीनों से स्कूल में एक भी अध्यापक न होने से 30 बच्चे आपस में ही एक दूसरे की कक्षा लगा रहे हैं। जयराम ठाकुर की सरकार को बने 100 दिन हो गए हैं और सरकार ने इन 100 दिनों में 86 %काम कर लिया है ये कहना है मुख्यमंत्री का लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत ही नजर आ रही है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है। प्रदेश में अध्यापकों की कमी के चलते बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। मुख्यमंत्री के जिला मंडी में करसोग में राजकीय प्राथमिक स्कूल कंयोग में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। जहां सितंबर 2017 से एक भी अध्यापक नहीं है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही एक-दूसरे की कक्षाए लगाते हैं।
गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को भी इस बारे में अवगत करवाया था लेकिन, आज तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। एसएमसी प्रधान ललित कुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार स्थानीय विधायक से भी स्कूल के लिए अध्यापक की मांग की लेकिन, उन्होंने भी इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई।
वहीं, मंडी के सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र के निहरी तहसील में आने वाली जरल पंचायत के राजकीय प्राथमिक विद्यालय जरल की दशा भी कुछ इसी तरह से है स्कूल में पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक 67 विद्यार्थी हैं। लेकिन, अध्यापक एक भी नहीं। अक्टूबर 2017 से स्कूल में कोई स्थायी अध्यापक न होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है।
एसएमसी प्रधान दयाराम और जरल पूर्व पंचायत प्रधान ख़ूबराम ने बताया कि गांव के लोग ही स्कूल खोलते हैं और बंद करते हैं। लोगों ने स्थानीय विधायक राकेश जंबाल को कई बार इसको लेकर अवगत कराया लेकिन, अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ। अब तो आलम ये हो गया है कि विधायक के पास लोगों के फ़ोन तक उठाने का समय नहीं है। लोगों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द स्कूल में अध्यापकों को भेजे जिससे कि उनके बच्चों की की पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके।