नूरपुर हादसे पर एक दैनिक अख़बार में छपी ख़बर पर कांगड़ा डीसी ने बयान दिया है। डीसी ने बताया कि ये ख़बर पूर्णत गलत और भ्रामक है। पोस्टमार्टम प्रक्रिया से लेकर हर चीज को समयानुसार किया गया है औऱ 10:35 पर पार्थिव शरीर परिजनों को सौंपे गये हैं। पुलिस और चिकित्सक अधिकारियों ने किसी प्रकार की देरी नहीं की और न ही मुख्यमंत्री के आने तक शवों को रोका गया।
ऐसा कहना कि बच्चों की लाशों पर श्रद्धांजलि की सियासत का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है। समाचार पत्र का दावा है कि अंतिम पोस्टमार्टम सुबह 7: 36 पर हो चुका था, जबकि वास्तविकता यह है कि पहला पोस्टमार्टम शुरू ही 7.30 बजे हुआ। यह कहना कि शवों को मुख्यमंत्री के आने तक 10.24 बजे तक रोका गया, भी तथ्यों से परे है, क्योंकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया 10.30 बजे संपन्न हुई।
उन्होंने कहा कि राहत और बचाव की प्रक्रिया रात 8 बजे पूरी हुई। शवों के पहचानकर्ता सुबह उपलब्ध नहीं थे, जैसे-जैसे शवों की पहचान होती गई, उनका पोस्टमोर्टेम किया गया। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी नूरपुर के अनुसार सभी पोस्टमार्टम प्रातःकाल किए गए, क्योंकि पोस्टमार्टम दिन के प्रकाश में ही किए जाते हैं। उपायुक्त ने कहा कि ये कहना सरासर गलत और आधारहीन है कि पार्थिव शरीर परिजनों को 9 अप्रैल को ही सौंप दिए गए थे और उन्हें पुनः वापस मंगवाया गया। 9 अप्रैल को एक भी पोस्टमार्टम नहीं किया गया, इसलिये किसी भी शव को सौंपने और सुबह वापिस मंगवाने का प्रश्न ही नहीं है।