हजरात!… बड़े ही अदब से हम आपसे यह गुजारिश करेंगे कि यह कंटेंट थोड़ा सा लंबा है, लिहाजा आपके पेशेंश की सख़्त दरकार है। क्योंकि, जैसे ही आप पेशेंश छोड़ेंगे आपके हाथ से बड़ी जानकारी छूट जाएगी। बात ऐसी है कि हिमाचल में सरकार तो बदल गई है, लेकिन व्यवस्था वही पुरानी है। प्रशासनिक रिति-रिवाज पहले जैसे ही हैं। ट्रांसफरों का कारोबार पहले जैसा ही है। अलबत्ता, ट्रांसफर तो पहले से और ज्यादा आसमान सिर उठाए हुए हैं। आलम ये है कि मंत्री खुल्ले में एक दूसरे से भिड़ जा रहे हैं। पहले की तरह ही टायर्ड और रिटायर्ड लोगों को दनादन रि-इम्पलॉयमेंट और एक्सटेंशन दिए जा रहे हैं और इधर प्रदेश का बेरोजगार युवा टीएमपीए और केसीसी की भर्ती प्रक्रिया के दिशा-भ्रम में फंसा हुआ है।
नौकरशाही मस्त, राजनीतिक वादे पस्त
विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने कई वादे किए थे। कुछ वादों से तो सरकार खुलेआम पलट गई, क्योंकि उनका जिक्र दृष्टि-पत्र (विजन-डॉक्यूमेंट) में नहीं था। जैसा कि सरकार बनते ही 'रूसा' ख़त्म कर देंगे। एक और अहम वादा था कि नौकरियों में पुनर्नियुक्ति और एक्सटेंशन नहीं देंगे, लेकिन इस वादे की भी बैंड बज गई है…
एक दैनिक अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों के रि-इंप्लॉमेंट की दुकान फिर से खुल गई है। कमाल की बात है कि इसकी शुरुआत भी मुख्य सचिव के ऑफिस से हुई है। मुख्य सचिव के प्राइवेट सेक्रेटरी को अब पावर कॉरपोरेशन में नियुक्त किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक मुख्य सचिव के प्राइवेट सेक्रेटरी 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं और उनकी रि-इंप्लॉयमेंट को-टर्मिनस आधार पर दी जा रही है। मतलब, जब तक मुख्य सचिव पद पर विनीत चौधरी बने रहेंगे उनका निजी सचिव भी सेवा में बना रहेगा।
सबसे अहम बात यह है कि मुख्य सचिव विनीत चौधरी ही पावर कॉरपोरेशन बोर्ड के चेयरमैन हैं। इसलिए इस नियुक्ति की अनुमित बोर्ड ने दी है।
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का ड्राइवर भी सेट
ऐसा नहीं कि पुनर्नियुक्ति का मामला सिर्फ चीफ सेक्रेटरी के निजी सचिव का है। इस मामले में समाचार फर्स्ट की तफ्तीश में कई मामले आए हैं। खुद मुख्य मंत्री कार्यालय का भी मामला इसी से जुड़ा है। मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव के ड्राइवर को रिटायर होने बाद 'प्रदूषण नियंत्र बोर्ड' में सेट कर दिया गया। यह फैसला भी मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव की तरफ से लिया गया। कुल मिलाकर इन सभी मामलों में कोई भी निर्णय मुख्यमंत्री या सरकार की तरफ से नहीं लिया गया।
पिछली सरकार के लोगों को भी बांटी पुनर्नियुक्ति की रेवड़ी
पुनर्नियुक्ति की रेवड़ी ऐसा नहीं है कि वर्तमान सरकार के ही लोगों को बांटी गई हैं। पिछली सरकार में भी कार्यरत लोगों को इसका लाभ दिया गया है। जिनमें पूर्व की सरकार में मुख्य सचिव के वरिष्ठ निजी सचिव रहे उमेद राम का नाम है। इन्हें भी पुनर्नियुक्ति दी गई। इसके अलावा जिला ट्रेजरी ऑफिसर गोपाल चंद के साथ-साथ कई लोगों को पुनर्नियुक्ति दी गई। वहीं, पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार के स्टाफ का भी सेवा-विस्तार जारी रखा गया है। साथ ही विधानसभा सचिव भी सेवा विस्तार में चल रहे हैं।
आरोप: 1,250 कर्मचारियों व अधिकारियो को सेवा-विस्तार
सरकार बनने के बाद से अब तक 1 हजार से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों को सेवा-विस्तार दिया जा चुका है। यह हम नहीं बल्कि कांग्रेस के विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री का कहना है। अग्निहोत्री का आरोप है कि वर्तमान सरकार में नौकरियों में एक्सटेंशन और रि-इम्प्लॉयमेंट का फीगर 1,250 का है।
फिर कैबिनेट पर भारी कौन है?
याद रहे कि जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक में रि-इंप्लॉयमंट और एक्सटेंशन पर फैसला लिया गया था। कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया कि रि-इंप्लॉयमेंट और एक्सटेंशन पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं को खत्म कर दिया जाएगा। एक आंकड़े के मुताबिक इस आदेश के जरिए पूर्व की कांग्रेस सरकार के वक्त नियुक्त करीब 2000 कर्मचारी व अधिकारियों को घर भेज दिया गया।
विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी ने रि-इंप्लॉयमेंट को मुद्दा बनाया था और सरकार में आते ही इसे खत्म करने की बात कही थी। दरअसल, बाहर एक बड़ी संख्या में युवाओं का खेप नौकरी के इंतजार में खड़ा है और दूसरी तरफ अधिकारियों को एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन मिल रही है। इधर बुढ़ापे में भी रि-इंप्लॉयमेंट मिल रही है, उधर इंप्लॉयमेंट की आस में युवा बूढ़ापे की ओर बढ़ रहे हैं।