बिलासपुर के कोठीपुरा में 1,400 करोड़ रुपये से बनने वाले एम्स के निर्माण में एक और पेंच फंस गया है। इसके लिए जमीन और कम पड़ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हिमाचल सरकार को पत्र भेजकर 445 बीघा के करीब और जमीन का प्रबंध करने को कहा है।
तर्क दिया है कि एम्स के आधारभूत ढांचे के निर्माण के साथ डॉक्टरों के लिए कॉलोनियां, स्कूल और भविष्य में एम्स के विस्तार को देखते हुए अतिरिक्त जमीन जरूरी है।
प्रदेश सरकार ने एम्स के लिए आधारभूत ढांचे के निर्माण को 1229 बीघा जमीन फाइनल की है। इसमें से अधिकांश जमीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नाम कर दी है। बावजूद इसके इस संस्थान के निर्माण के लिए 445 बीघा जमीन कम बताई जा रही है।
राज्य सरकार ने राजस्व विभाग तथा पशुपालन विभाग की भूमि के साथ लगती बाकी की 445 बीघा वन भूमि को एम्स के निर्माण में देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। केंद्र से जमीन के हस्तांतरण को हरीझंडी मिलने के बाद एम्स का निर्माण शुरू होगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 15 सौ करोड़ का बजट भी मंजूर किया है। साथ ही तीन सालों में इसके निर्माण कार्य को पूरा करने की बात भी केंद्र सरकार ने कही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्तूबर 2017 को बिलासपुर के कोठीपुरा में एम्स की नींव रखी थी। एम्स के निर्माण पर 1351 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया था कि एम्स का निर्माण 48 माह में पूरा हो जाएगा।
जमीन का किया जा रहा इंतजाम
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने एम्स के आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए और जमीन मांगी है। सरकारी स्तर पर इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जहां एम्स का निर्माण होना है, वहां आसपास वन विभाग और पशुपालन विभाग की और जमीन है। शीघ्र ही इन विभागों से एनओसी लेकर केंद्र को उपलब्ध कराया जाएगा।