लोकसभा चुनाव को लेकर हिमाचल में किसानो के विभिन्न संगठनों ने संयुक्त किसान मंच के बैनर तले पांच सूत्रीय मांगपत्र तैयार किया है।मंच ने निर्णय लिया है कि किसानों- बागवानों की इन पांच मांगों को अपनी प्राथमिकता में शामिल करने वाले उम्मीदवारों को ही प्रदेश में समर्थन करेंगे। संयुक्त किसान मंच का कहना है कि पिछले 10 सालों से हिमाचल के सांसदों ने किसानो बागवानों के हितों को एक बार भी नहीं उठाया। इसलिए इन चुनाव में जो उम्मीदवार किसान हितों की बात करेगा उसे ही समर्थन दिया जाएगा। वहीं दिल्ली में किसान आंदोलन के समय किसानों पर कंगना रनौत द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर कंगना पहले माफ़ी मांगे उसके बाद वोट मांगने के लिए आए।
शिमला में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि हिमाचल में लोकसभा चुनाव में किसान सक्रिय भूमिका निभाएगा और किसान हितों के पांच मांगों पर ही प्रत्याशियों को समर्थन दिया जाएगा। पिछले 10 वर्षों में हिमाचल से रहे सांसदों ने एक बार भी किसान हितों की बाद संसद में नहीं उठाई है। भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत को आड़े हाथ लेते हुए हरीश चौहान ने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन के समय कंगना रनौत ने किसानों को लेकर टिप्पणी की थी कि पैसे लेकर किसान धरने पर बैठे हैं और अब कंगना रनौत को हिमाचल में किसानों से इस टिप्पणी पर माफी मांगनी चाहिए तभी किसानों से वोट के अपील करें।
मंडी लोकसभा सीट सहित प्रदेश में 70% वोटर किसान ही है इसलिए प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को किसान हितों को प्रमुखता देनी होगी। किसान हितों को उठाने वाले प्रत्याशियों के समर्थन किया जाएगा जबक और किसान हितों को नकारने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ प्रदेश में किसान मंच विरोध में प्रचार करेगा।किसान मंच का कहना है कि हिमाचल मे सेब की दुर्दशा हुई है इस वर्ष सेब इम्पोर्ट ड्युटी ना बढ़ाने की वजह से सेब बागवानों को नुक्सान हुआ है।फसलों का न्यूनतम मूल्य तय होना , मंडी मध्यस्थता योजना में सेब का 70 करोड़ बकाया अदा करना , मार्केट इंटरवेशनल स्कीम की बहाली, जीएसटी हटाना अथवा रिफंड और किसानो की ऋण माफी के मुद्दे किसानो ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के समक्ष रखे है।