आप थकान मिटाने के लिए पीते हों, ग़म भुलाने के लिए पीते हों या सेलिब्रेट करने के लिए या फिर आदतन बहुत बड़े पियक्कड़ हों। इन सभी सूरतों में स्वास्थ्य को दांव पर लगाने के अलावा आप पुण्य का भी काम कर रहे होते हैं। यह बात जानकर आपको जरूर ही आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि आप पुण्य का भी काम कर रहे होते हैंं। दरअसल, सरकार ने हर बोतल पर एक रुपये का 'गऊ-ग्रास' टैक्स रखा है। यानी शराब की कीमत में से एक रुपये आपके गायों की खाने-पीने के खर्च के लिए वसूला जा रहा है।
ऐसा नहीं कि यह सुनी-सुनाई बात है। मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुल्ले में सबको बताया कि शराब की बोतलों पर एक रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला गया है और इस रकम का इस्तेमाल 'गऊ-सेवा' में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश के लिए सरकार ने बजट में प्रावधान किया है। इसके तहत गायों के रख-रखाव की जिम्मेदारी मंदिरों को सौंपी गई है। गायों के रख-रखाव में कोई आर्थिक परेशानी ना हो, इसके लिए शराब की हर बोतल पर एक रुपये का गऊ-ग्रास अधिभार लगाया गया है।
बद्दी में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इस बात का जिक्र हंसी-ठिठोली भरे अंदाज में किया। उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र हैं, जो अक्सर शाम को थकान मिटाने के लिए शराब का सेवन करते हैं। अक्सर शराब पीने के बाद ही फोन भी करते हैं (जैसा कि हर मित्र करता है)। फोन आने पर जब मैं पूछता हूं कि आप क्या कर रहे हैं, तो उनका जवाब होता है– मैं आपके आदेश का पालन कर रहा हूं, गऊ-ग्रास दे रहा हूं…।
हालांकि, यह ख़बर लिखने का यह कतई मतलब नहीं है (संभवत: मुख्यमंत्री का भी) कि जिस दिन आप गाय को खाना नहीं दे पाएं, उस दिन शराब की बोतल लेकर बैठ जाएं और 'गऊ-ग्रास' की जिम्मेदारी पूरी करें।
(नोट- शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है)