हिमाचल विधानसभा चुनाव में कानून व्यव्यस्था को लेकर बीजेपी ने खूब हल्ला मचाया यानी कि प्रदेश की कानून व्यवस्था सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था। प्रदेश के जनता ने बदलाब के लिए मतदान किया और भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बना दी। लेकिन मिला क्या वही झूठे वायदे, चौपट कानून व्यवस्था, कहीं दिन दिहाड़े लुटती अवलाओं की इज्जत, हत्याएं, लूटपाट तो कहीं पर सड़क हादसों से पसरता मातम?
सरकार भले ही बदल गई लेकिन, शांत राज्य माने जाने वाले हिमाचल में हालात नहीं बदले। बल्कि कानून व्यवस्था सुधरने के बजाए बिगड़ती नज़र आ रही है। न मासूमों के साथ रेप की घटनाएं थमती नज़र आ रही है, न सड़क हादसे कम हो रहे हैं, अब तो पुलिस की मौजूदगी में सरकारी कर्मियों पर गोलियां दागी जा रही हैं।
कसौली हत्याकांड ने कानून व्यवस्था के मुंह पर बड़ा तमाचा है। कानून के रखवालों की मौजूदगी में मौत का नंगा नाच खाकी पर सवाल खड़ा कर रहा है। आरोपी अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। वहीं, पालमपुर की मासूम के साथ दरिंदगी के बाद दरिंदे फरार हैं पुलिस क्या कर रही है।
नई सरकार के चार महीनों के कार्यकाल में पांच हज़ार मामले थानों में दर्ज हो चुके हैं। 25 के करीब मर्डर हो चुके हैं और लगभग 75 मामले रेप के दर्ज हुए। क्या समझा जाए कि सत्ता में सिर्फ चेहरे बदलते हैं व्यवस्था वही रहती है। नेता चांदी कूटते हैं और जनता के आंसू फूटते हैं।