सैहब सोसाइटी वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू के बैनर तले सैंकड़ों सैहब, आउटसोर्स व सफाई कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर कालीबाड़ी हॉल शिमला में जनरल हाउस के दौरान मांगों को लेकर मंथन किया।
बैठक में कर्मियों पर लगाये जा रहे क्यू आर कोड का विरोध किया गया ऑफ निर्णय लिया गया कि 2 व 3 अगस्त को डीसी ऑफिस शिमला स्थित नगर निगम कार्यालय के बाहर मांगों को लेकर सैहब कर्मी हल्ला बोलेगा।अगर बात नही बनी तो जनरल हाउस ने निर्णय लिया है कि 15 अगस्त के बाद मजदूर अपनी मांगों को लेकर बेमियादी आंदोलन शुरू करेंगे।
सैहब सोसाइटी के अध्यक्ष जसवंत सिंह ने कहा कि जो क्यू आर कोड हम पर थोपा । इसकी वर्क ओके माध्यम से नगर निगम डोर टू डोर गारबेज कॉलकेक्टर पर नजर रखने का प्रयास कर रहा।कर्मियों को समार्टी वाच वाच दी जाएगी जो उस एरिया में स्कैन होगी कि कर्मचारी कार्य कर रहा है या नहीं।
उन्होंने कहां की पंजाब वर्षों से शहर को साफ रखने का वह कार्य कर रहे।उन्होंने कहा कि कर्मियों पर बंदिशें लगाने का प्रयास किया जा रहा है।इसका सैहब सोसाइटी विरोध करती है।इसके विरोध में 2 व 3 अगस्त को प्रदर्शन करेंगे अगर फिर भी बात नही बनी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी सैहब कर्मी जा सकते हैं।
सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि शिमला को स्वच्छ रखने में सैहब वर्करज़ का अहम योगदान है। अगर सैहब सोसाइटी का निजीकरण अथवा आउटसोर्स करने की कोशिश की गई तो मजदूर भविष्य में बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे व शिमला शहर में कार्य पूरी तरह ठप्प कर देंगे।
उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि नगर निगम प्रशासन सैहब के बाय लॉज़ के खिलाफ कार्य कर रहा है व सैहब के कार्य की आउटसोर्सिंग करने की साज़िश रच रहा है। उन्होंने कहा कि जो ढाई करोड़ रुपये नगर निगम घरों की मैपिंग हेतु क्यू आर कोड स्कैनिंग के लिए खर्च करना चाहता है उतने पैसे में 150 अतिरिक्त मजदूरों की भर्त्ती हो सकती है जिस से शहर को और ज़्यादा स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी व कार्यरत मजदूरों पर काम का बोझ घटेगा।
इतने पैसे से सभी सैहब व आउटसोर्स कर्मियों को तीन वर्ष तक 15 हज़ार रुपये बोनस दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हर महीने सैंकड़ों सैहब व आउटसोर्स कर्मियों का वेतन भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है जोकि वेतन भुगतान अधिनियम 1936 का उल्लंघन है।