देश के अन्य राज्यों के लिए कभी सफाई को लेकर मिसाल रही पहाड़ों की रानी शिमला आजकल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। शिमला आजकल कूड़े के ढेर में तब्दील हो रहा है। घर -घर से कूड़ा उठाने वाले सैहेब सोसाइटी के कर्मचारी दो दिन पहले हड़ताल पर क्या गए शिमला की सफाई व्यवस्था ओंधे मुंह गिर पड़ी। प्रधानमंत्री के जिस सफाई अभियान के लिए बीजेपी के लोग सुर्खियों में रहने के लिए झाड़ू उठा लेते हैं वह आजकल दुबक कर छिप गए हैं।
शिमला में सफाई व्यव्यस्था क्या बिगड़ी अनान-फानन में नगर निगम शिमला ने बैठक तो बुलाई लेकिन, कोई ठोस नतीजा निकल नहीं निकल पाया। सुना है नगर निगम शिमला की मेयर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं अब उनको कौन समझाए की पहले शिमला समस्याओं से तोनिबट लो बाद में चुनाव में कूदना। सैहेब सोसाइटी के कर्मियों का आरोप मेयर पर भी है कि वह उनकी बात नहीं सुनती। जो भी हो दो चार दिन और यदि सैहेब कर्मियों की हड़ताल ऐसे ही रहीं तो शिमला की सफाई का भगवान ही रखवाला होगा।
बिन पानी लोगों के हलक सूखे, 24 घंटे तो दूर निगम 24 दिन में सात दिन भी नहीं दे पा रही है पानी
शिमला में पर्यटन सीजन सिर पर है लेकिन पानी के हालात ये है कि पांच दिन बाद भी लोगों को पानी नही मिल पा रहा है। एक वर्ष पूर्व 24*7 पानी देने के बड़े बड़े वायदे कर नगर निगम शिमला की सत्ता तक पहुंचने वाली बीजेपी शासित निगम इसका उल्टा भी नहीं कर पा रही है यानी कि 24 दिनों में सिर्फ सात दिन भी पानी नहीं दे पा रही है। शिमला के लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचा रहे हैं लेकिन न सुनने वाला कोई है न पूछने वाला, क्योंकि निगम से राज्य और केन्द्र तक बीजेपी की सरकार है।
31 साल तक नगर निगम शिमला में कांग्रेस का एकछत्र शासन रहा उस वक़्त पानी को लेकर समस्या होती थी तो बीजेपी खाली डब्बे लेकर सड़कों पर हल्ला करने निकल पड़ती थी लेकिन, अब कांग्रेस पानी को लेकर हल्ला करना तो दूर आवाज़ तक नहीं उठा रही है। कानून व्यवस्था जैसे मुददे पर भी पुतला फूंकने के लिए अपने कार्यालय से बाहर नही निकल पाती है।
ऐसे में जनता पानी के घूंट की जगह खून का घूंट पीकर तमाशा देख रही है। वैसे भी जनता का खून तो चूसने के लिए ही बना है कभी व्यवस्था चूसती है कभी नेता। मौजूदा हालातों को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल का वह शेयर जो अकसर धूमल बोला करते थे याद आ रहा है…
बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का,
जो चीरा तो कतरा-ए-खूं न निकला….