हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कुल्लू जिले की राजनीति उफान पर उस समय आई जब चंद रोज पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री JP नड्डा कुल्लु दौरे पर आये थे। यह दौरा बीजेपी के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह की राजनीति पर सवाल भी खड़े कर गया। कुल्लू की राजनीति में बीजेपी में ऐसा लग रहा कि बीजेपी अपने पुराने साथी महेश्वर सिंह को ज्यादा तबज्जों नहीं दे पा रही है।
बीजेपी के कई बड़े नेता कांग्रेस विधायक सुन्दर सिंह ठाकुर का गुनगान कर महेश्वर सिंह को अनदेखा सा कर गए। इस सारी राजनीति के बीच में यह भी माना जा रहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए बहुत बड़ा चैलेंज साबित होगा और एक एक सीट पर हाइकमान नजर टिकाए हुए हैं। ऐसे में सांसद रामस्वरूप का रिपोर्ट कार्ड भी उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और अगर कहीं बीजेपी ने यहां पर टिकट में बदलाव जैसी स्थिति नजर आएगी तो उसमें महेश्वर सिंह का नाम सबसे ऊपर हो सकता है।
बेशक आज की राजनीति में वह कहीं ना कहीं हाशिये पर खड़े नजर आ रहे हैं लेकिन, महेश्वर सिंह राजनीतिक परिवार से हैं इसलिए राजनीति भी खूब जानते हैं। यह प्रदेश में बीजेपी को भी पता है और दिल्ली में हाईकमान को भी पता है। आज कुल्लू बीजेपी की राजनीति में जो देखने को मिल रहा है उसमें बीजेपी प्रदेश महामंत्री राम सिंह को उभारने में लगी है और राम सिंह को बीजेपी के आला नेताओं का सहयोग भी खूब मिल रहा है।
राम सिंह प्रदेश महामंत्री के पद पर विराजमान हैं जबकि, महेश्वर सिंह अकेले पड़े हैं ऐसा कोई बड़ा औहदा बीजेपी हाईकमान ने महेश्वर सिंह को नहीं सौंपा है जिससे वो राजनीति में अपनी पकड़ बना सके। महेश्वर सिंह ने जब हिलोपा पार्टी का गठन किया था तो बीजेपी ने राम सिंह पर दाव खेला था ओर 1500 वोटों से राम सिंह हार गए थे। इस चुनाव के बाद रामसिंह की पकड़ राजनीति में ओर ज्यादा मज़बूत हो गई।
महेश्वर सिंह की हिलोपा का अस्तित्व खत्म हो गया फिर वह बीजेपी में शामिल हुए और चुनाव हार गए। इस अवधि में रामसिंह ने पार्टी में अपनी पकड़ बना ली ओर महेश्वर सिंह पर भारी पड़ने लगे। रामसिंह की लोकप्रियता बढ़ने से कुल्लु की राजनीति में अब दबदबा तेज़ है, जिस प्रकार से राजनीति के दंगल में रामसिंह को बीजेपी में दर्जा मान सम्मान मिल रहा है वो महेश्वर सिंह की आगामी राजनीति पर भी ग्रहण लगा रहा है।
महेश्वर सिंह इस समय एक हारे हुए सैनिक की तरह राजनीति में आंके जा रहे हैं। महेश्वर सिंह भी राजनिति के मैदान में मंझे हुए खिलाड़ी हैं और हथियार डालने वाले नहीं हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में होने जा रहे हैं यहां महेश्वर सिंह की भूमिका को बीजेपी हाईकमान किस तरह निभाएगी यह देखना बाकी है।