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सीपीएस संजय अवस्थी की नसीहत पर विक्रमादित्य का पलटवार, बोले- मेरी जवाबदेही सिर्फ हाईकमान और सीएम को

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Shimla: स्‍ट्रीट वेंडर पालिसी को हिमाचल में लागू करने के ताने बाने में कांग्रेस खुद उलझती जा रही है। सीपीएस संजय अवस्थी की नसीहत पर विक्रमदित्‍य ने आज अपना रूख साफ करते हुए कह डाला है कि उनकी जवाबदेही केवल हाईकमान, मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को है। इसके अलावा किसी भी संवैधानिक या गैर संवैधानिक संस्था को जवाबदेही नहीं है।

बता दें कि अवस्‍थी ने किसी मंत्री का नाम लिए बगैर कहा था कि जिम्मेदारी बड़ी मिली है तो सोच भी बड़ी रखनी होगी। कहा कि 70 लाख आबादी की आवाज उठाना उनकी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी से वह पीछे नहीं हटेंगे। जब भी हिमाचल के हितों की बात आएगी, वह आवाज उठाते रहेंगे। विक्रमादित्‍य के इस बयान ने यह संकेत दिया कि वह अवस्थी की इस नसीहत को व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं।

विक्रमादित्य सिंह ने यह भी साफ किया कि अवस्थी की नसीहत उनके लिए मायने नहीं रखती, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान और मुख्यमंत्री के प्रति है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की विचारधारा को लागू करना और पार्टी की नीतियों को आगे बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है। नगर निगम द्वारा शिमला के रिज मैदान पर वीरभद्र सिंह की प्रतिमा लगाने के फैसले का भी स्वागत किया।

उधर, विक्रमादित्य और संजय अवस्थी के बयानों के बीच यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह सियासी बयानबाजी आंतरिक मतभेद का संकेत है, या यह केवल सियासी रणनीति का हिस्सा है? कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान को लेकर हिमाचल की राजनीति में इस मुद्दे ने नई चर्चा को जन्म दे दिया है।

स्ट्रीट वेंडर्स पर विक्रमादित्य की सफाई

दिल्ली से लौटने के बाद विक्रमादित्य ने प्रेसवार्ता में अपने स्ट्रीट वेंडर्स से जुड़े बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया गया और इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। विक्रमादित्य ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेडिंग एक्ट, 2014 के तहत पंजीकरण का प्रावधान है, और यह मुद्दा सर्वदलीय कमेटी के समक्ष लाया गया है। सिंह के दिल्ली दौरे को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली जाने का उनका कार्यक्रम पहले से तय था। उनका मकसद रेलवे बोर्ड से फ्लाईओवर परियोजना के लिए एनओसी प्राप्त करना था, न कि हाईकमान के बुलावे पर जाना।