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खनन पर तीन तरह के शुल्‍क, निर्माण सामग्री होगी महंगी

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  • ऑनलाइन शुल्क, ईवी शुल्क और मिल्क सेस लगाए गए
  • रेत और बजरी की कीमतों में वृद्धि की संभावना
  • नई खनिज नीति से अवैध खनन पर रोक और राजस्व में वृद्धि का उद्देश्य
  • आय का उपयोग दूध खरीद गारंटी और ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब खनन गतिविधियों पर तीन नए शुल्क लागू किए जाएंगे। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश गौण खनिज रियायत और खनिज अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण नियमों में संशोधन कर इन नए शुल्कों को अधिसूचित किया है। ये अधिसूचना शुक्रवार से प्रभावी हो गई है, जिससे रेत और बजरी की कीमतों में वृद्धि की संभावना है।

नए शुल्क और उपकर

  1. ऑनलाइन शुल्क: प्रति टन 5 रुपये।
  2. ईवी शुल्क: प्रति टन 5 रुपये, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
  3. मिल्क सेस: प्रति टन 2 रुपये, जो दूध खरीद की गारंटी को पूरा करने के लिए खर्च होगा।
इसके अतिरिक्त, रॉयल्टी का 75% प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में देय होगा। 
सरकारी भूमि पर खनन के लिए सर्फेस रेंट 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर 
निर्धारित किया गया है।

खनन पट्टों के नवीकरण और आवेदन शुल्क

खनन पट्टे के नवीकरण के लिए आवेदन फीस 25,000 रुपये तय की गई है। इसके अलावा, नदी तल और पहाड़ी क्षेत्रों में खनन की फीस और धरोहर राशि भी निर्धारित की गई है।

मंहगी हो सकती है निर्माण सामग्री

नए शुल्कों के लागू होने के बाद रेत और बजरी की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। क्रशर संचालकों की मनमानी से निर्माण सामग्री के महंगे होने की संभावना है, जिससे आम लोगों पर आर्थिक बोझ पड़ सकता है।

शुल्कों से प्राप्त आय का उपयोग

राज्य सरकार द्वारा लगाए गए इन नए शुल्कों और उपकर से प्राप्त आय को दूध खरीद की गारंटी और ई-वाहनों को बढ़ावा देने पर खर्च किया जाएगा। इसके साथ ही, खनन गतिविधियों में वैज्ञानिक तकनीक और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी।