हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे भवन हैं जिनका निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन जरूरी साजो-सामान और रख-रखाव मुहैया नहीं होने से वे महज सफेद हाथी बनकर रह गए हैं। बिलासपुर के झंडूता में भी अंबेडकर भवन अपने दिन फिरने की राह देख रहा है।
2009 में धूमल सरकार के दौरान हिमाचल प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में अंबेडकर भवन खोलने का फैसला लिया गया। इसी कार्यक्रम के तहत झूंडता में भी अंबेडकर भवन का निर्माण किया गया। 2010 में इसका बकायदा उद्घाटन भी कर दिया गया। लेकिन, तब से लेकर अभ तक यह भवन खाली ही पड़ा है।
8 सालों से यह अंबेडकर भवन खाली पड़ा है। यहां ना बिजली और ना ही पानी की व्यवस्था है। दीवारें और खिड़कियां टूट चुकी हैं और बाकी के निर्माण भी बर्बादी की तरफ हैं। जबकि इसके निर्माण में 12 लाख रुपये खर्च हुए थे। इतने पैसे खर्च होने के बावजूद भी भवन का कोई इस्तेमाल नहीं है।
शरारती तत्व एक-एक करके खिड़की और दरवाजों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके परिसर में चारो तरफ जंगल उगे हुए हैं। सरकार की अनदेखी के कारण आज भवन 70 साल पुरानी दलित समाज की व्यथा को बयां कर रहा है। स्थानीय दलित समाज ने जिलाधीश से अनुरोध किया है कि भवन की दशा को सुधारा जाए और इस के रखरखाव का जिम्मा दलित समाज की संस्था को सौंपा जाए ताकि इसका लाभ दलित समाज को मिले ।