Mandi mosque dispute: हिमाचल प्रदेश के मंडी में मस्जिद विवाद को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। हिंदू संगठनों ने मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के आदेशों के बावजूद कार्रवाई न होने पर विरोध प्रदर्शन किया। TCP सचिव द्वारा स्टे ऑर्डर जारी किए जाने से नाराज संगठन मस्जिद को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।
13 सितंबर को नगर निगम आयुक्त मंडी ने मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने TCP सचिव के पास अपील की, जिसके बाद स्टे ऑर्डर जारी किया गया। मुस्लिम पक्ष ने अदालत में दावा किया कि 2013 में बारिश के कारण मस्जिद का मुख्य हिस्सा गिर गया था, जिसे 2023 में दोबारा बनाया गया।
हिंदू संगठनों ने मस्जिद को अवैध बताते हुए इसे हटाने की मांग की है। उनका दावा है कि मस्जिद के नीचे हिंदुओं का देवस्थल था। 1280 खसरा नंबर पर खुदाई करने और सच्चाई सामने लाने की मांग भी उठाई गई है। संगठनों ने “छोटी काशी देवभूमि संघर्ष समिति” का गठन कर आंदोलन तेज कर दिया है।
हिंदू संगठन अब तक तीन बार प्रदर्शन कर चुके हैं। 10 सितंबर को नगर निगम कार्यालय के बाहर, 13 सितंबर को मस्जिद की ओर कूच के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका था। 28 सितंबर को भी बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया गया।
नगर निगम ने मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद की बिजली और पानी की आपूर्ति भी काट दी गई थी। हालांकि, TCP सचिव द्वारा स्टे जारी होने के कारण कार्रवाई रुकी हुई है।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें:
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद 1936 से इसी जगह पर स्थित है और राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन “अहले इस्लाम” के नाम से दर्ज है। उनका दावा है कि मस्जिद के निर्माण में कोई अवैधता नहीं है और TCP सचिव ने रिकॉर्ड तलब कर जांच जारी रखी है।