Tax burden concerns from municipal inclusion: हमीरपुर जिला की ग्राम पंचायत गसोता और दरबैली के ग्रामीणों ने अपनी पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। इस संदर्भ में ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त हमीरपुर को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में गसोता पंचायत के घुमारी, लगवान, गसोता, कोरा रोडा और कंगरू गांवों के लोग शामिल थे। ग्रामीणों ने मांग की कि उनकी पंचायतों को नगर निगम में शामिल न किया जाए, क्योंकि इससे गरीब परिवारों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ पड़ेगा।
ग्रामीणों का कहना है कि 23 नवंबर 2024 को शहरी विकास विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें गसोता पंचायत के गांवों को नगर निगम हमीरपुर में शामिल करने का उल्लेख है। ग्रामीणों ने बताया कि वे पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े रहना चाहते हैं क्योंकि इसमें उनकी सहभागिता अधिक रहती है। नगर निगम में शामिल होने से ठेकेदारी प्रथा शुरू हो जाएगी, जिससे स्थानीय लोगों के विकास कार्यों में बाधा आएगी।
गसोता पंचायत की प्रधान सुमन पठानिया ने बताया कि उनकी पंचायत में कई गरीब परिवार रहते हैं, जो मनरेगा और पशुपालन पर निर्भर हैं। नगर निगम में शामिल होने पर इन परिवारों को भारी भरकम टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा, जिससे उनका जीवन यापन कठिन हो जाएगा।
इसी प्रकार, दरबैली पंचायत के प्रधान राजेश की अगुवाई में आए ग्रामीणों ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। ग्रामीण संजीव कुमार ने कहा कि उनका गांव जंगलों से घिरा है, और ग्रामीण नगर निगम के टैक्स भरने में असमर्थ हैं। उन्होंने मांग की कि पंचायतों को नगर निगम में शामिल करने के प्रस्ताव को रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि इससे पहले दडूही और बजूरी पंचायतों ने भी नगर निगम में शामिल किए जाने का विरोध किया था। ग्रामीणों का कहना है कि शहरीकरण से उनकी पारंपरिक जीवनशैली और स्थानीय विकास कार्य प्रभावित होंगे।