पौष मास की शुरुआत: पौष मास को पितरों का महीना माना जाता है, और यह माह धार्मिक व आध्यात्मिक कार्यों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह 13 जनवरी 2025 को पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। ज्योतिर्विद अनिल शास्त्री का कहना है कि इस अवधि में पितृ शांति और दान-पुण्य से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
क्या करें
- सूर्य पूजा: प्रतिदिन सूर्यदेव की पूजा करें और ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- जल अर्पण: सूर्य को जल में लाल फूल, लाल चंदन और अक्षत मिलाकर अर्पित करें।
- लाल वस्त्र और फूल: इस मास में लाल रंग के वस्त्र और फूलों का उपयोग करें।
- दान-पुण्य: जरूरतमंदों को कंबल, तिल, गुड़ आदि का दान करें।
- पिंडदान: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।
क्या न करें
- मांस और मदिरा का सेवन पूरी तरह से त्यागें।
- बैंगन, मूली, उड़द की दाल और चीनी का सेवन वर्जित है।
पंचांग विवरण
- तिथि: पंचमी (10:49 तक), उपरांत षष्ठी।
- नक्षत्र: मघा (03:47 तक), उपरांत पूर्वा फाल्गुनी।
- योग: विष्कुंभ (06:11 तक), उपरांत प्रीति।
- करण: तैतिल (10:49 तक), उपरांत वणिज।
- चंद्रमा: सिंह राशि।
- सूर्य स्थिति: दक्षिणायन।
- राहुकाल: सुबह 10:30 से 12:00।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:51।