शिमला में पानी से न मिलने से जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आए दिन सड़कों पर चक्का जाम किया हो रहा है और नगर निगम सहित सरकार पर लग़ातार सवाल उठ रहे हैं। यही नहीं, बकायदा हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद भी निगम और IPH विभाग के पास इसका कोई हल नज़र नहीं आ रहा।
इसी कड़ी में बुधवार को कांग्रेस ने टॉलैंड में चक्का जाम किया और दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें लगना शुरू हो गईं। हालांकि, पुलिस ने कांग्रेस पार्षदों सहित बाकी लोगों को हटाने का प्रयास भी किया, लेकिन पानी के बूंद-बूंद के लिए मोहताज शिमला वासी सड़कों से हटने का नाम नहीं ले रहे। साथ ही पार्षदों ने मांग की मेयर अपने पद से जल्द इस्तीफा दे।
निगम की मासिक बैठक रद्द
वहीं, बुधवार को निगम की मासिक बैठक होने वाली थी, लेकिन ये बैठक पानी पर हो रहे बवाल की भेंट चढ़ गई। जानकारी के मुताबिक, सदन में डिप्टी मेयर के सामने कांग्रेस ने पानी पर हंगामा किया, जिसके बाद बीजेपी पार्षद बवाल होता देख रफ्फू-चक्कर हो गए। इसी बीच कांग्रेस पार्षदों ने कुछ देर इंतजार किया, लेकिन किसी के न आने पर उन्होंने टॉलैंड में जनता सहित चक्का जाम कर दिया।
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कमेटी बनी, पर नहीं कोई जवाब
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला में पानी के किल्लत के चलते मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक की थी, जिसमें हाई पॉवर कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन, कमेटी बनने के बाद भी सरकार और IPH विभाग के पानी कहां से मिलेगा इसका कोई जवाब नहीं है। यही नहीं, बीजेपी शासित नगर निगम के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने 24*7 पानी देने को कहा था, लेकिन एक बार फिर बीजेपी शासित निगम के वादे जुमले साबित होते नज़र आ रहे हैं।
आज दिन तक कभी नहीं हुई ऐसी समस्या
धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि आज दिन तक कभी राजधानी में ऐसी दिक्कतें नहीं आईं। लेकिन, इस बार निगम के हाथों में शहर की हालत ख़स्ता हो गई है। एक अन्य महिला का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो बैग में किताबों से ज्यादा पानी की बोतलें डालनी पड़ती हैं, ताकि उन्हें स्कूल में पानी के कोई दिक्कत न हो।