शिमला सहित प्रदेशभर में पानी का संकट पैदा हो गया है। प्रदेश की राजधानी से लेकर गांव तक पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। प्रदेश में ज्यादातर स्कीमों में 50 से 75 फीसदी तक जल स्तर गिरा है जबकि कुछ योजनाएं पूरी तरह से सूख गई हैं।
प्रदेशभर की 9,590 जलापूर्ति योजनाओं में से 350 योजनाएं पूरी तरह से प्रभावित हुई हैं। जबकि 1,131 योजनाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं। इस बार बारिश और बर्फबारी न होने से अब छोटे नदी नाले भी सूखने लग पड़े है। प्रदेश में आने वाले दिनों में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
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पानी के संकट ने प्रदेश की जयराम सरकार की चिंता भी बड़ा दी है। सरकार शिमला शहर में पूरी तरफ से लोगों को पानी देने में नाकाम साबित हो रही है। ऐसे में प्रदेश के अन्य जिलों में पानी की समस्या पैदा होती है तो सरकार के लिए भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर की विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं की स्थिति की बुधवार को समीक्षा की। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रदेशभर की 9,590 जलापूर्ति योजनाओं के बारे में जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि शिमला शहर में हैंडपम्प स्थापित करने के लिए 11 स्थानों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से एक हैंडपम्प स्थापित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिमला के लोगों को जलापूर्ति प्रदान करने के लिए गंभीर है। उन्होंने सिंचाई एव जन स्वास्थ्य विभाग को जलापूर्ति सुनिश्चित बनाने के लिए उपयुक्त कदम उठाने के निर्देश दिए।