अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने शिमला में पानी की किल्लत पर सभी राजनीतिक दलों को नसीहत दे डाली है। समाचार फर्स्ट के साथ टेलिफोनिक इंटरव्यू में सत्ती ने माना कि शिमला में पानी की किल्लत के लिए सभी राजनीतिक दल दोषी हैं। साथ ही उन्होंने लोगों तक सही से पानी का डिस्ट्रिब्यूशन नहीं होने के लिए सरकारी तंत्र को जिम्मेदार ठहराया। सत्ती ने कहा कि जनता को पानी पहुंचाने में इस दौरान कई गलतियां भी रहीं हैं।
समाचार फर्स्ट के पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए सत्ती ने कहा, '' शिमला में पानी की आपूर्ति काफी हद प्राकृतिक श्रोतों पर निर्भर है। इस बार पानी की भारी कमी हो गई है। कई जल-श्रोत सूख चुके हैं। ऐसे में परेशानी देखी जा रही है। पानी के डिस्ट्रिब्यूशन में भी काफी हद खामियां देखने को मिली। जिसकी वजह से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।"
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से जब सवाल पूछा गया कि अर्से से बीजेपी और कांग्रेस सत्ता पर काबिज होती रही हैं, लेकिन पानी जैसी बुनियादी मसले को अभी तक क्यों नहीं सुलझा पाईं…इस पर उन्होंने बेबाकी से माना कि इस पहलू पर कहीं ना कहीं ग़लती हुई है। सभी सरकारें लोगों तक पानी मुहैया नहीं करने की जिम्मेदार हैं। सतपाल सत्ती ने कहा, '' मैं जब विधायक बना था उस दौरान भी तत्तापानी से पानी की सप्लाई की बात की चली थी। सतलुज और पब्बर नदी को लेकर भी सरकारें बात करती रही हैं। लेकिन, इंटरनल रूप में क्या मामला रहा यह मुझे नहीं पता। कांग्रेस के कार्यकाल में भी शायद इस पर बात उठी होगी।"
सतपाल सत्ती ने कहा कि शिमला शहर में पानी की सप्लाई ठीक करने के लिए अगर अभी युद्ध स्तर पर काम हो तो 2022 से लेकर 2023 में जाकर काम पूरा हो पाएगा। इसके लिए ठोस पहल पर तुरंत काम करने की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार इस पहल पर आगे बढ़ रही है। जल्द ही सरकार में शामिल लोग इसके हल निकाल लेंगे।
नगर निगम क्या इनकॉम्पिटेंट नहीं है?
सतपाल सत्ती ने इस सवाल के जवाब में कहा कि हम मानते हैं कि पानी के वितरण में कुछ खामियां जरूर रही हैं। कुछ स्वार्थी लोग इसमें भी अपना हित साधने की कोशिश करते रहे हैं। हर मौके पर ऐसे असमाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम में पानी को लेकर पहले कोई ठोस पहल नहीं हुई थी। हम तो पहली बार निगम की सत्ता में आए हैं। इससे पहले कांग्रेस का 31 सालों से शासन था। सवाल यह भी उठता है कि पिछले 31 सालों में कांग्रेस ने क्या किया?
प्रदेश के हालात क्या 2019 में भारी नहीं पड़ेंगे?
हिमाचल में पानी की किल्लत, जंगलों में आग, माफियाओं की सक्रियता, ठोस रणनीति का अभाव और कानून-व्यवस्था पर किरकिरी क्या ये मुद्दे 2019 लोकसभा चुनाव में भारी नहीं पड़ेंगे। इस पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने बड़े ही सावधानी पूर्वक जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने माना कि प्रदेश में दुर्भाग्य से कुछ वारदातें हुई हैं, जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। लेकिन इसको ठीक करने की कोशिश चल रही है। हर जगह नकेल कसने का प्रयास जारी है। हालांकि, इन मुद्दों के 'साइड-इफेक्ट' तो जरूर आएंगे। मगर इसमें एक बात ये है कि ये तात्कालिक मुद्दे हैं। सरकारी मशीनरी अब काम कर रही है, लोगों की शिकायतें भी धीरे-धीरे दूर कर दी जाएंगी।
सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि जनता को भी थोड़ा समझना होगा कि सूखे की वजह से ये सारी स्थितियां पनपी हैं। साथ ही लंबे समय से जिनके कंधे पर शहर की जिम्मेदारी थी उन्होंने उसका सही से निर्वहन नहीं किया। अब एक-एक पहलू को सही करने का काम किया जा रहा है।
जल-संरक्षण में जनता की भूमिका अनिवार्य
सत्ती ने कहा कि पानी के बचाव को लेकर जनता की तरफ से भी पहल होनी चाहिए। जब जनता पानी के संरक्षण को लेकर सचेत होगी तो काफी हद तक स्थिति बदल जाएगी। साथ ही मीडिया को भी पानी बचाने की मुहिम को सपोर्ट करना चाहिए। लोगों में जागरूकता आनी चाहिए ताकि इस मुद्दे को हर पहलू से अड्रेस किया जा सके।
सत्ती ने कहा कि जहां पानी बहुतायत में हैं वहां इसकी बर्बादी का आलम हम अक्सर देखते रहते हैं। नागरिक स्तर पर भी एक कोशिश होनी चाहिए कि पानी की बर्बादी को रोका जा सके।