प्राकृतिक खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था: सीएम सुक्खू

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Natural Farming in Himachal: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस दिशा में प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 15 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 3,592 पंचायतों में 1.98 लाख किसान 35,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इससे खेती की लागत में औसतन 36% की कमी आई है और उत्पादों के दाम औसतन 8% अधिक मिले हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना भी शुरू की गई है।

सरकार किसानों के उत्पादों की प्राथमिकता के आधार पर खरीद कर रही है। गेहूं और मक्के का समर्थन मूल्य क्रमशः 40 और 30 रुपये प्रति किलो तय किया गया है। हाल ही में कृषि विभाग ने 1,508 किसानों से 398 मीट्रिक टन मक्की की खरीद कर ‘हिम-भोग हिम प्राकृतिक’ ब्रांड के तहत इसे बाजार में उतारा है।

डेयरी उद्योग को बढ़ावा



मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है। ऊना जिले में बकरी का दूध भी 70 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। दत्तनगर में 50,000 लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया गया है, जिससे 20,000 से अधिक डेयरी किसान लाभान्वित होंगे।

बागवानी और सिंचाई परियोजनाओं में निवेश



राज्य सरकार ने सात जिलों में बागवानी और सिंचाई परियोजनाओं के लिए 1,292 करोड़ रुपये की योजना शुरू की है। सेब उत्पादकों के लिए यूनिवर्सल कार्टन प्रणाली लागू की गई है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 12 रुपये प्रति किलो किया गया है।

किसानों के लिए अनुदान और योजनाएं



किसानों को बीज, खाद, सिंचाई और फसल सुरक्षा के लिए सब्सिडी दी जा रही है। अनाज, दलहन, तिलहन और चारा फसलों के बीज पर 50% तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि आलू, अदरक और हल्दी के बीजों पर 25% तक की सब्सिडी दी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले दो वर्षों में जाइका योजना के तहत 96.15 करोड़ रुपये खर्च कर 50,000 से अधिक किसानों को जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से जोड़ा है। सरकार की यह पहल प्रदेश को “समृद्ध और आत्मनिर्भर हिमाचल” बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।