शिमला जल संकट पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज की जुबान ऐसी फिसली है जो सरकार की किरकिरी कराने के लिए काफी है। भारद्वाज ने धर्मशाला में शिमला की स्थिति पर बेहद ही गैर-जिम्मेदराना बयान दिया है। उन्होंने कहा, " शिमला में पानी किल्लत है। पहले भी ऐसी प्रॉब्लम आई है। शिमला के लोग यह परेशानी सहन करते रहे हैं। ऐसी कोई बात नहीं है, आगे भी कर लेंगे।"
लेकिन, मंत्री महोदय का यह बयान सिविल सोसाइटी के गले नहीं उतर रहा है। पानी की मोहताज शिमला की जनता इस बयान को उपाहास के तौर पर ले रही है। सुरेश भारद्वाज को समझना होगा कि शिमला में पानी की कमी रही है, इसीलिए तो जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी को निगम से लेकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज किया है।
दरअसल, धर्मशाला पहुंचे सुरेश भारद्वाज से समाचार फर्स्ट ने शिमला में जल संकट पर सवाल किए। जिसका जवाब देते वक्त उनकी जुबान से असंवेदनशील बात निकल गई। हालांकि, वक़्त रहते मंत्री महोदय को शायद अपनी गलती का एहसास हो गया। इसी दौरान उन्होंने अपनी बात रोककर बयान की धार विपक्ष की तरफ मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि शिमला में सिर्फ मेरा ही विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि वीरभद्र के बेटे का भी क्षेत्र जलसंकट से प्रभावित है। पिछली सरकार ने इसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया। जिसकी वजह से शिमला में जलसंकट गहरा गया है।
(विज्ञापन के नीचे स्क्रॉल करें…)
बताते चलें कि शिमला में काफी समय से पानी की समस्या लग़ातार बनी हुई है। भारी गर्मी के मौसम में अक्सर पानी की समस्या से लोगों को परेशानी होती है, लेकिन इस बार पानी की किल्लत ने लोगों को सड़कों पर उतारा ही, साथ ही साथ सरकार की भी खटिया खड़ी कर दी। यहां तक लोग प्रशासन से लेकर सरकार तक से भिड़ने को तैयार थे।
कांग्रेस के बयानों का पलटवार
साथ ही मंत्री ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के बयानों का पलटवार भी किया। मंत्री ने कहा कि विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर जनता के बीच नहीं जाएंगे, तो जनता उन्हें नकार देगी। कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, जिसके चलते वे ओछी राजनीति में उतर आई है। नेतृत्व के लिए हमेशा वीरभद्र सिंह और सुक्खू आपस में लड़ते रहते हैं। याद रहे कि प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू ने कहा कि थी कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को जनता के बीच जनमंच पर नहीं जाना चाहिए।