देश भर में किसान अपनी फजीहतों को लेकर सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। खेत को मंडियों से डिस्कनेक्ट कर दिया गया है। किसानों की मांगों और उनके रोष-प्रदर्शन पर सत्ताधारी पार्टी के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन, इन्हीं के बीच से एक वरिष्ठ नेता ने किसानों के हक में आवाज़ बुलंद कर दी है। इस शख्सियत का नाम है, शांता कुमार।
वाजपेयी सरकार में खाद्य-आपूर्ति और ग्रामीण विकास मंत्री रहे वर्तमान सासंद शांता कुमार ने किसानों की हालत पर पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक साढ़े 3 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
MSP फॉर्मूले को बताया बेकार
वरिष्ठ सांसद शांता कुमार ने सरकार के MSP पर भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि किसानों को दी जाने वाली एमएसपी में भले ही 19 गुणा का इजाफा हुआ हो, लेकिन यह बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने किसानों के श्रम को दूसरे सेक्टर के मुलाजिमों से तुलना करते हुए भी एमएसपी को नाकाफी बताया। शांता कुमार ने कहा कि दूसरे सेक्टर के मुलाजिमों की सैलरी में 140 से 150 गुणा की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसकी तुलना में किसानों के हालात में इजाफा न के बराबर है।
किसानों की खराब हालत के लिए शांता कुमार ने असंगठित क्षेत्र को बहुत बड़ा जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि किसान एक अॉर्गनाइज सेक्टर नहीं है। यही वजह है कि किसान अपनी बात ना तो सही तरीके से रख पाता है और ना ही हुकूमतों से मनवा पाता है।
फूड-कॉरपोरेशन में भयंकर भ्रष्टाचार
शांता कुमार ने देश में किसानों की बदहाली में खाद्यान के सिस्टम प्रणाली में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि फूड 'कार्पोरेशन ऑफ इंडिया' मे भयंकर भ्रष्टाचार है, अलबत्ता स्थिति ऐसी है कि इसे भयंकर कहना भी कम ही होगा। मंडियों के करप्शन और फर्टिलाइजर सब्सिडी का लाभ बड़ी कंपनियों को जाने का भी मुद्दा शांता कुमार ने उठाया।
देश का 80 फीसदी किसान बेहद ग़रीब
शांता कुमार ने कहा कि जब वह केंद्र से लेकर राज्य सरकार में रहे, तब हमेशा किसानों के हित में फैसले लिए। आज विश्व के तमाम मूल्क किसानों पर निर्भर करते हैं। भारत का विकास भी किसानों के बगैर मुमकिन नहीं है।
हालांकि, आखिर में शांता कुमार ने मोदी सरकार की नीतियों के बारे में भी बताया। जिनमें डायरेक्ट सब्सिडी स्कीम और दूसरे योजनाएं जो किसानों के लिए शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने किसानों के हितों के लिए 8 सदस्यीय कमेटी बनाई थी जो इस दिशा में काम कर रही थी। इस कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि किसानों को डाइरेक्ट इनकम स्पोर्ट होना बहुत जरूरी है। शांता ने कहा कि साल भर सर्वे करने के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी को लिखित रूप में भेज दी है।