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संघ के मंच से प्रणब मुखर्जी ने सिखाई देशभक्ति, नेहरू के हवाले से बताया राष्ट्र क्या है…

समाचार फर्स्ट डेस्क |

कांग्रेस कल्चर के वरिष्ठ नेता और राजनीति के पितामह पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित 'राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ' (RSS) के कार्यक्रम को संबोधित किया। पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन पर अपनी बात कही। उन्होंने इस दौरान संघ के लोगों के बीच राष्ट्रीयता, संहिष्णुता और भारत की विशाल सांझी संस्कृति पर अपने विचार रखे।

मुखर्जी ने भारत की विविधता को ताकत बताया। उन्होंने कहा कि देश में दुर्भावना फैलाने की कोशिश उफान पर है। लेकिन, देश की ताकत विविधता में है। उन्होंने कहा कि हमारी ताकत हमारा संविधान है और हर नागरिक को इसके प्रति अपना सम्मान रखना चाहिए।

प्रणब मुखर्जी के भाषण के मुख्य अंश

  • भारत एक पुरानी सभ्‍यता और समाज है और विविधता में एकता हमारी ताकत है। हमारी राष्‍ट्रीय पहचान कई चीजों से बनी। राष्‍ट्रवाद किसी धर्म या भाषा से नहीं बंधा है।
  • धर्म के आधार पर राष्‍ट्र की परिभाषा गलत, वसुधैव कुटुंबकर भारत का मंत्र रहा है। राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता।
  • हर तरह की हिंसा से हमारे समाज को बचने की जरूरत, चाहे वह मौखिक हो या शारीरिक
  • हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता और असहिष्णुता को परिभाषित करने का कोई भी कोशिश केवल हमारे अस्तित्व को कमजोर करेगा
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  • भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद (Pluralism) का सम्मान करते हैं, हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं
  • सहनशीलता ही हमारे समाज का आधार है। हमारी सबकी एक ही पहचान 'भारतीयता' है। हम विविधता में एकता को देखते हैं। हर विषय पर चर्चा होनी चाहिए। हम किसी विचार से सहमत हो भी सकते हैं और असहमत भी।
  • भेदभाव और नफरत से भारत की पहचान को खतरा है। नेहरू ने कहा था कि सबका साथ जरूरी है।