हिमाचल प्रदेश में थर्मोकोल की प्लेट्स और गिलास पर प्रतिबंध लगाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को थर्मोकोल पर प्रतिबंध लगाने के मामले में विस्तृत शपथपत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं।
यहां बता दें कि कांगड़ा जिला के धर्मशाला निवासी अंजन कालिया ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल को पत्र लिखकर गुहार लगाई थी कि थर्मोकोल पर प्रतिबंध लगाया जाए। थर्मोकोल के प्रयोग से पर्यावरण पर असर पड़ रहा है। थर्मोकोल कई साल तक गलता नहीं है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र दाखिल करने के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी जवाब देने को कहा है। मामले की सुनवाई 15 जून को होगी।
वहीं, पत्र लिखने वाले अंजन कालिया ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने प्लास्टिक पर बैन लगाया था। ये बैन वर्ष 1995 में लगाया गया था। कालिया ने कहा कि प्लास्टिक पर बैन तो लगा, परंतु थर्मोकोल का चलन नहीं रोका गया। इन दिनों थर्मोकोल का खूब प्रचलन है। इससे पर्यावरण पर असर पड़ने के साथ ही स्वास्थ्य पर भी बुरा असर होता है।
पत्र में दलील दी गई है कि प्रदेश में थर्मोकोल पर प्रतिबंध लगाने के लिए सांसद और पूर्व सीएम शांता कुमार ने भी राज्य सरकार को आवेदन किया है। लेकिन राज्य सरकार ने इस बारे को प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। प्रार्थी ने प्रदेश भर में थर्मोकोल के इस्तेमाल पर पूरी तरह से बैन लगाए जाने की मांग की है।