सावधान! अगर आप हिमाचल के बाहर शिक्षा ले रहे हैं तो आप यहां की सुविधाओं के हकदार नहीं हैं। भले ही आप हिमाचली बोनाफाइड क्यों ना हों। हिमाचली प्रमाण पत्र होने के बावजूद प्रदेश के कई फैसलिटीज से आपको महरूम रखा जा सकता है। प्रदेश सरकार के नए फरमान ने सैंकड़ों NEET क्वालिफाइड स्टूडंट के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
राज्य के बाहर पढ़ने वालों की काउंसिलिंग नहीं!
हिमाचल से बाहर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अब हिमाचल में ही जगह नहीं मिलने वाली। प्रदेश सरकार ने NEET (MBBS,BDS) काउंसलिंग के संदर्भ में जो नोटिफिकेशन जारी किए हैं, उससे कई हिमाचली छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लग गया है। प्रदेश सरकार के मुताबिक हिमाचल से बाहर प्राइवेट जॉब करने वाले पैरेंट्स के बच्चों को NEET के कांउसलिंग में हिमाचली होने का लाभ नहीं दिया जाएगा। जबकि, आर्म्ड फोर्सेज और प्रदेश से बाहर केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को यह सुविधा मिलेगी।
क्या है ये नोटिफिकेशन का रायता?
दरअसल, NEET में कांउसिलिंग के लिए हिमाचली छात्रों के लिए 85 फीसदी सीट रिजर्व है, जबकि देश के बाकी हिस्से से छात्रों के लिए 15 फीसदी सीट तय है। ऐसे में हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले छात्र 85 फीसदी की कैटगरी में अपनी काउंसिलंग के लिए आवेदन भेज रहे हैं। लेकिन, असली पंगा यहीं फंस रहा है। जो छात्र हिमाचली बोनाफाइड हैं और प्रदेश के बाहर किसी भी बोर्ड से पढ़ाई किए हुए हैं (उनके माता-पिता राज्य के बाहर प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते हैं) तो उन्हें NEET के कांउसलिंग में रिजेक्ट कर दिया जा रहा है।
दरअसल, पिछली सरकार में प्राइवेट-सेक्टर का रायता नहीं फैला हुआ था। NEET काउंसलिंग के संदर्भ में उस दौरान जारी अधिसूचना में मुख्य रूप से चार कैटेगरी बनी थी। प्रदेश से बाहर1- सैन्य सेवा 2. केंद्र सेवा 3. प्रदेश सेवा 4. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले हिमाचलियों के बेटे-बेटियों की काउंसलिंग राज्य कोटा (85 फीसदी) के तहत होगी।
(सर्कल किए हुए हिस्से को ख़ास ध्यान देकर पढ़ें)
लेकिन, नई सरकार ने चौथे क्लॉज यानी प्राइवेट सेक्टर वाले लोगों अपनी नोटिफिकेशन में बाहर कर दिया। मसलन, जो माता-पिता हिमाचल से बाहर जॉब कर रहे हैं, उनके बच्चों को राज्य कोटा का लाभ नहीं मिलेगा।
(ध्यान से देखें नए नोटिफिकेशन में 4 वाला ऑप्शन नहीं है..)
ख़तरे में भविष्य, सुनो सरकार
कार्तिक सिंह हिमाचल के ज्वालाजी के रहने वाले हैं। इन्होंने अपने माता-पिता के साथ मोहाली में रहकर 12वीं तक की शिक्षा सीबीएसई बोर्ड से ली। लेकिन, NEET परीक्षा में उनका रैंक भी ठीक-ठाक है। अक भी उन्होंने 700 में से 492 हासिल किया है। लेकिन, कार्तिक को हिमाचल कोटे का लाभ नहीं मिल रहा है। उल्टा उनके पास हिमाचली प्रमाण पत्र होने की वजह से नेशनल कोटा में भी जगह नहीं है। ऐसे में उनका भविष्य अधर में लटक गया है।
कार्तिक का कहना है कि उनके लिए यह बहुत ही पीड़ादायक है। उनसे हिमाचली होने का हक छीना जा रहा है। प्रदेश में जब रोजगार नहीं होगा तो व्यक्ति बाहर नौकरी करने जाएगा ही। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि उसे और उनके बच्चों को खारिज कर दिया जाए। कार्तिक का कहना है कि सरकार दूसरे देशों के नागरिक यानी तिब्बतियों तो पूरी सुविधाएं दे रही है, लेकिन मेरे जैसे हिमाचल में पैदा हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
कार्तिक की तरह सैंकड़ों छात्रों ने सरकार से इस मामले में दखल देने और पुराना सिस्टम बहाल करने का अनुरोध किया है। छात्रों का कहना है कि प्रदेश में रोजगार की समस्या है। लिहाजा, उनके मां-बाप ने बाहरी राज्यों का रुख किया। हमने वहीं पढ़ाई-लिखाई की। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि हमसे हिमाचली होने का हक भी छीन लिया जाए। हमारे हकूक को दरकिनार कर दिया जाए। बाहरी राज्यों में पढ़े छात्रों ने सरकार से NEET की काउंसलिंग में स्टेट कोटा बहाल करने की मांग की है।