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’46 साल बाद भी पोंग विस्थापित लड़ रहे जंग, सरकार अपने स्तर पर दे राहत’

मृत्युंजय पुरी |

जिला कांगड़ा के देहरा विधायक भी आखिरकार अपनी जीत के जश्न से बाहर आ ही गए और अब जाकर लोगों की समस्याओं पर विचार किया जाने लगा है। इसी कड़ी में सोमवार को विधायक होशियार सिंह ने धर्मशाला में पौंग विस्थापियों को लेकर सरकार से सवाल किए और कहा कि पोंग बांध बनाने के चक्कर में लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। लोगों ने कई दफा सरकार के चक्कर लगाए, लेकिन आज दिन तक भी उनकी लड़ाई जारी है।

यही नहीं, राजस्थान में मुरब्बे के खेत देने की बात कही गई थी, लेकिन वहां के स्थानीय लोग बंदूक के दम पर उनसे गुंडागर्दी करते हैं। इस पर बकायदा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजस्थान और हिमाचल सरकार को पत्र लिखकर मामले को सुलझाने को भी कहा गया है। आगामी 24 जून को नगरोटा सूरियां में कैंडल मार्च निकाला जाएगा और अपनी मांगों को मुख्यता से उठाया जाएगा। जो विस्थापित परिवार अब राजस्थान नहीं जाना चाहते, सरकार उनके लिए कुछ कंपनसेशन दे।

पंछी गिनने के लिए है बजट, जबकि विस्थापियों का नहीं कोई ख्याल

विधायक ने कहा कि सरकार के पास पोंग डैम के पंछी गिनने के लिए बजट है, जबकि निर्माण के दौरान कितने लोग विस्थापित हुए उसपर आज दिन तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। अब तो केंद्र और हिमाचल दोनों जगह बीजेपी सरकार है और इसपर जल्द कोई फैसला लिया जाए, अन्यथा लोग आत्मदाह के लिए मजबूर हैं।

लुणसू में अभी तक नहीं बनी सही फाइलें

वहीं, लुणसू इलाके में सड़क न होने पर पूछे गए सवाल पर विधायक ने पहले की तरह फिर वही जवाब दिया। विधायक ने कहा कि पहले 20 सालों तक यहां जो भी रिपोर्ट फाइलें बनी हैं वे सभी ग़लत थी। अब दोबारा फाइल तैयार की गई है और डीसी को सौंप दी गई है। ये रिपोर्ट अब देहरादून भेजी जाएगी और जल्द ही इसपर कोई फैसला लिया जाएगा। आज तक देहरा में ओपोसिट पार्टी विधायक रहा है, जिसके चलते ये समस्या सुलझ नहीं पाई।

ग़ौरतलब है कि 1971 में पौंग डैम बनाने के वक़्त 24 हजार परिवार राजस्थान विस्थापित किए गए थे। इसके बाद 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें गंगानगर में मुरब्बे के खेत देने को कहा था, लेकिन उनमें से कुछ को मिले जबकि कुछ को नहीं। अब कई लोगों को कहना है कि उनसे मुरब्बे के खेत बंदूक के दम पर हथियाए जा रहे हैं और उन्हें विस्थापित करने पर कोई लाभ नहीं दिया गया।