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हिमाचल के DGP बेटे की ईमानदारी नहीं झेल पा रही नागालैंड सरकार, सड़कों पर उतरे लोग

समाचार फर्स्ट |

नागालैंड के कोहिमा में तैनात हिमाचल के DGP बेटे के समर्थन में नागालैंड की जनता सड़कों पर उतर आई है। सरकार और अफसरशाही के बीच चल रहे गतिरोध के बीच जनता रुपिन शर्मा को इस पद पर बने रहने देना चाहती है।

नागालैंड सरकार चाहती है कि डीजीपी रुपिन शर्मा को बदला जाए इसके लिए सरकार ने गृहमंत्रालय को भी लिखा था। नागालैंड सरकार का कहना है कि डीजीपी रुपिन शर्मा के पास अपने पद के अनुसार अनुभव नहीं है, लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि उन्हें हटा दिया जा रहा है क्योंकि उन्होंने 'पिछले दरवाजे' से नियुक्तियां करने से इनकार कर दिया था।

सरकार ने तर्क देते हुए ये कहा था कि एक आईपीएस को कम से कम 28 साल का अनुभव होना चाहिए, लेकिन रुपिन शर्मा के पास केवल 26 साल का अनुभव है। सरकार ने कहा कि इससे पहले वो कैबिनेट सचिवालय, विदेश मामलों के मंत्रालय और कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में कार्यरत थे, लेकिन राज्य में उनके पास सीमित अनुभव है।

डीजीपी के समर्थन सड़कों पर उतरे लोग

वहीं, सरकार के इस फैसले का हर तरफ विरोध किया जा रहा है। नागालैंड पुलिस हेडक्वार्टर से लेकर राज्य के सभी जिलों में उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है। नागालैंड में डीजीपी के समर्थन में सरकार के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किया है। आम जनता के साथ-साथ पुलिस फोर्स भी डीजीपी के समर्थन में हैं।

धर्मशाला के रहने वाले हैं रुपिन शर्मा

रुपिन शर्मा मूलरूप से हिमाचल के धर्मशाला के रहने वाले हैं। वह सबसे कम उम्र में डीजीपी बने थे। रुपिन शर्मा से पहले आईपीएस अधिकारी केपीएस गिल 53 साल की उम्र में डीजीपी बने थे। 50 साल के आईपीएस अधिकारी रुपिन शर्मा 24 नवंबर 2017 को नागालैंड के डीजीपी नियुक्त हुए हैं। 1992 बैच के आईपीएस रुपिन शर्मा कांगड़ा जिले के धर्मशाला के रहने वाले हैं और सिविल लाइंस में रहते हैं। रुपिन के पिता केसी शर्मा भी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं।