शिमला में पानी की किल्लत से हुई किरकिरी के बाद अब मानसून से होने वाली दिक्कतों से निपटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। इसी के चलते जिला प्रशासन ने जरुरी निर्देश जारी किए हैं। विभिन्न विभागों के अधिकारियों को मानसून को लेकर तैयार रहने को कहा गया है। शिमला में आपात संचालन केंद्र/नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इस नियंत्रण कक्ष में टोल फ्री दूरभाष नंबर 1077 स्थापित किया गया है, जोकि 24 घंटे काम करेगा। सभी उपमंडलाधिकारियों को मानसून के दौरान उपमंडल स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित कर वहां आपात स्थिति के लिए विशेष रूप से दूरभाष नंबर स्थापित करने के आदेश दिये गए।
डीसी शिमला अमित कश्यप ने कहा कि प्राथमिक तौर पर सड़क, पेयजल उपलब्धता व बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा खाद्य आपूर्ति को सामान्य बनाए रखने के लिए संबधित विभाग जरूरी कदम समयबद्ध उठाएं। उन्होंने सभी विभागों को किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त उपकरण तथा अन्य आवश्यक सामाग्री तैयार रखने के आदेश दिए। लोगों को बरसात के दिनों में ज्यादा असुविधा पेड़ों के गिरने से होती है।
उन्होनें वन विभाग व वन निगम को इस संबंध में पेड़ों को मार्ग से हटाने के लिए कार्य करने के आदेश दिए हैं। बारिश के दौरान जलजनित व अन्य रोगों के पनपने की संभावना रहती है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से लोगों के बचाव के लिए जरूरी दवाओं व अन्य जरूरी उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि विभाग इस संबध में लोगों को जागरूक करने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
अमित कश्यप ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को बरसात के दौरान सड़कों की मरम्मत के लिए सभी कदम समय पर उठाने के निर्देश दिए है और कहा कि जिन स्थानों पर मलवा गिरने के कारण यातायात व्यवस्था बाधित होने की संभावना होती है, उन स्थानों में डोजर, जेसीबी व अन्य मशीनें तैनात की जाएं।
उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान आपदा प्रबंधन के तहत शिमला शहर को चार सेक्टर में विभाजित किया गया है और इन सभी सेक्टर में प्रमुख विभागों के नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी स्वच्छ पेयजल की सुचारू आपूर्ति व पेयजल की क्लोरिनेशन करने के निर्देश दिये।