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बगैर डॉक्टरों के बीमार पड़े बिलासपुर के अस्पताल, लोगों की नहीं हो रही सुनवाई

सुनील ठाकुर |

भले ही प्रदेश और केंद्र सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा को आम लोगों तक पहुंचाने का दावा कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। अस्पतालों में लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं होना मौजूदा स्वास्थय व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए काफी है।

एक तरफ जहां प्रदेश और केंद्र सरकार बिलासपुर में एम्स खोलने की घोषणा कर चुकी है। वहीं, दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा के ज़िला के लोग ही इलाज के लिए तरस रहे हों तो अन्य ज़िलों में क्या स्वास्थय सुविधाएं मरीजों को मिल रही होंगी, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।

लेकिन, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे करने वाली बीजेपी सरकार और बीजेपी नेता मूकदर्शक बने हुए हैं। दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के गृह क्षेत्र बिलासपुर में चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। यहां के लोग चिकित्सा सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

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ज़िला के अस्पतालों में आने वाले मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीज और उनके तीमारदार इलाज के लिए तरस रहे हैं लेकिन, सरकार और विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक साल बीत जाने के बाद भी स्वारघाट का ट्रामा सेंटर बंद पड़ा है इसे मरीजों के लिए खोला नहीं गया है। यहां के लिए कई बार डॉक्टर डेपोटेशन पर भेजे जाते हैं।

ज़िला बिलासपुर के स्वास्थ्य केंद्र स्वारघाट में डॉक्टर न होने के चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल एक नर्स और एक फॉर्मेटिस्ट के सहारे चल रहा है। यह स्वास्थ्य केंद्र राष्ट्रीय उच्च मार्ग चण्डीगढ़-मनाली के साथ जुड़ा है। हर दिन इस मार्ग पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। घायल अवस्था में मरीजों को इसी अस्पताल में लाया जाता है लेकिन, डॉक्टर न होने को चलते उन्हें अन्य अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है।

इस अस्पताल में जिला सोलन व जिला बिलासपुर की कई पचायतों के मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं लेकिन, हर दिन उन्हें मायूसी हाथ लगती है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।