कश्मीरी भी रहेंगे खुश केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने आंतकियों से निपटने के लिए दो टूक बात कही है।
दिल्ली में जेटली ने साफ कहा कि आतकिंयों को पहले आत्मसमर्पण और सीज़फायर प्रस्तावसे इनकार का मौका देना चाहिए। यदि वे इससे इनकार करते हैं, तो उनके साथ भी उसी तरह निपटना चाहिए, जिस तरह कानून हाथ में लेने वाले के साथ निपटा जाता है। इसमें बल प्रयोग की बात नहीं है, बल्कि कानून शासन की ईज्जत की बात है।
साथ ही जेटली ने सवाल उठाया कि मरने और मारने को तैयार फिदायीन के साथ क्या ‘सत्याग्रह’ के रास्ते से निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर भारतीय इस बात को लेकर चिंतित है कि कौन है जो इस देश को एकजुट रख सकता है…?? भारत का एकमात्र लक्ष्य एक चुनी हुई सरकार है, जो जनता के साथ संवाद, एक कश्मीरी के प्रति इंसानियत भरा रूख अपनाती है। हालांकि, इससे कुछ लोग असहमति जता सकते हैं।