हिमाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी विनीत चौधरी काफी विवादित अधिकारी रहे हैं। प्रदेश सरकार में बतौर मुख्य सचिव नियुक्ति को लेकर एक बार फिर नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। एक चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक विनीत चौधरी को संदिग्ध रिकॉर्ड के कारण केंद्र सरकार ने सचिव बनाने से इंकार कर दिया था। जबकि, हिमाचल प्रदेश में उन्हें नौकरशाही का मुखिया बना दिया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले विनीत चौधरी की नियुक्ति को लेकर "समाचार फर्स्ट" ने भी सवाल उठाए थे। लेकिन, अब नेशनल मीड़िया में भी इनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
चैनल की रिपोर्ट के अनुसार कैबिनेट ने 5 बार और पीएम मोदी ने 3 बार विनीत चौधरी को केंद्र में सचिव के पद के योग्य नहीं समझा था। मगर 30 दिसंबर 1982 बैच के हिमाचल कैडर के आईएएस चौधरी को जनहित के नाम पर राज्य का चीफ सचिव बनाया गया था।
रिपोर्ट में दस्तावेजों के आधार पर दावा किया गया है कि केंद्र सरकार में उन्हें सचिव बनाने की अर्जी को प्रधानमंत्री स्तर पर खारिज किया गया था। जिसमें कहा गया है कि जून 2015 से लेकर नवंबर 2017 के बीच कई बार चौधरी के नाम पर विचार हुआ मगर एक्सपर्ट पैनल ने विनीत की छवि और विजिलेंस स्टेटस के आधार पर उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में विनीत चौधरी ने (Central Administrative tribunal) CAT में अपील की, मगर उन्हें सचिव नहीं बनाया गया। चैनल से बात करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और केंद्र के सचिव बराबर होते हैं। ऐसे में जब विनीत को केंद्र में सचिव नहीं बनाया गया तो उन्हें राज्य का मुख्य सचिव कैसे बनाया जा सकता है। जबकि उनके ऊपर एम्स में आरोप हैं, सीबीआई जांच कर रही हैं, 6000 करोड़ के घोटालों में आरोपी हैं, पिछली सरकार के दौर में इन पर पेनल्टी लगाने की सिफारिश भी हुई थी।